पेमेंट सीट पर दाखिला लेने वाले छात्रों को डोनेशन देना पड़ता है. आर्थिक तंगी से निबटने के लिए छात्रों से यह अनुदान लिया जाता है. सरकारी नियमानुसार ऐसे मेडिकल स्टूडेंट्स को लगभग 75 हजार रुपये दे कर दाखिला लेना पड़ता है, जबकि फ्री तथा पेमेंट सीट पर पढ़ने वाले छात्रों को हर साल ट्यूशन फी के तौर पर 25 हजार देना पड़ता है. आर्थिक तंगी से गुजर रहे इन निजी आयुष मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन अब प्राइवेट एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज के तर्ज पर मैनेजमेंट कोटा की मांग कर रहे हैं. ताकि सरकारी मान्यता के आधार पर छात्रों से डोनेशन लिया जा सके.
Advertisement
संकट में निजी आयुष मेडिकल कॉलेज
कोलकाता: राज्य में आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज को आयुष की श्रेणी में रखा गया है. इनमें दो आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज , होम्योपैथी के सात तथा एक यूनानी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल शामिल हैं. इन कॉलेजों में जेनपा प्रवेश परीक्षा द्वारा छात्रों को एडमिशन मिलती है. वहीं निजी कॉलेजों के संचालन के लिए हर […]
कोलकाता: राज्य में आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज को आयुष की श्रेणी में रखा गया है. इनमें दो आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज , होम्योपैथी के सात तथा एक यूनानी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल शामिल हैं. इन कॉलेजों में जेनपा प्रवेश परीक्षा द्वारा छात्रों को एडमिशन मिलती है. वहीं निजी कॉलेजों के संचालन के लिए हर साल राज्य सरकार से करीब 34 से 35 लाख रुपये का अनुदान मिलता है, लेकिन अनुदान की यह राशि मेडिकल कॉलेजों को संचालित करने के लिए काफी नहीं. ऐसे में इन्हें संचालित करने के लिए प्रबंधकों के पसीने छूट रहे हैं.
छात्रों से लिया जाता हो डोनेशन: आयुष मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व अाला अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि निजी आयुष कॉलेजों में फ्री तथा पेमेंट सीट पर एडमिशन होती है. इन सीटों पर राज्य सरकार द्वारा स्टूडेंट्स का दाखिला कराया जाता है. मेधावी छात्रों को फ्री सीट जबकि अन्य छात्र छात्राओं को पेमेंट सीट पर दाखिला मिलता है.
खड़गपुर होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अशोक कुमार राय ने बताया कि 2002 में अंतिम बार सरकारी अनुदान की राशि में बढ़ोतरी की गयी थी. सरकार द्वारा दिये जाने वाले फंड से वर्तमान समय में निजी आयुष कॉलेजों को चलाना संभव नहीं. क्योंकि केंद्रीय आयुष मंत्रालय के नियमानुसार किसी निजी कॉलेज के संचालन के लिए 36 शिक्षक चिकित्सक को रखना जरूरत है. वहीं अस्पताल में करीब 100 स्टॉफ की आवश्यकता पड़ती है. इसमें शिक्षक चिकित्सक तथा डॉक्टर व मेडिकल ऑफिसर तथा अन्य कर्मचारी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को अनुदान की राशि बढ़ाये या इन निजी मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट सीट पर हमें ए़डमिशन की दे .इस पर में सरकार को विचार करना चाहिए.
निजी आयुष कॉलेजों के संचालन के एक सटिक पॉलेसी तैयार करें. इससे आर्थिक सह अन्य समस्याओं का भी समाधान होगा. इसके लिए केंद्र व राज्य दोनों सरकारों को मिल कर एक पॉलिसी तैयार करना चाहिए .
डॉ पीएल दे , प्रिसिंपल वर्दमान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement