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राजनीति में आगे आयें युवा : देव
कोलकाता. ‘पग्लू’, ‘रंगबाज’ ‘चैंप’ ‘चांदेर पहाड़’ जैसे सुपर हिट बांग्ला फिल्म देनेवाले टॉलीवुड के सुपर स्टार व तृणमूल कांग्रेस के घटाल के सांसद देव (देव अधिकारी) का कहना है कि भारतीय राजनीति में युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है, जो समाज व देश को नये व वाइव्रेंट आइडिया दे सके. दुर्गा पूजा के […]
कोलकाता. ‘पग्लू’, ‘रंगबाज’ ‘चैंप’ ‘चांदेर पहाड़’ जैसे सुपर हिट बांग्ला फिल्म देनेवाले टॉलीवुड के सुपर स्टार व तृणमूल कांग्रेस के घटाल के सांसद देव (देव अधिकारी) का कहना है कि भारतीय राजनीति में युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है, जो समाज व देश को नये व वाइव्रेंट आइडिया दे सके. दुर्गा पूजा के अवसर पर देव की नयी फिल्म ‘कॉकपिट’ शुक्रवार को रिलीज हो रही है. देव के प्रोडक्शन हाउस देव इंटरटेंमेंट वेंचर्स की यह दूसरी फिल्म है. कामवेश्वर मुखर्जी निर्देशित ‘कॉकपिट’ में देव के साथ अभिनेत्री कोयल मल्लिक तथा रुक्मिनी मैत्रा मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. इनके साथ देव की पहले भी फिल्में हिट हो चुकी हैं. ‘कॉकपिट’ मुंबई से कोलकाता के बीच फ्लाइट में उस पॉयलट की कहानी है, जिसका विमान ट्रबुलेंस में फंस जाता है और विमान का दोनों इंजन काम करना बंद कर देता है. श्री देव कहते हैं : अब फिल्म में कटेंट किंग हैं और सुपर स्टार भले ही दर्शकों को सिनेमा घरों तक खींच लाये, लेकिन सिनेमा हॉल में दर्शकों को फिल्म के कटेंट के कारण ही दो घंटे बैठा कर रहता है. प्रभात खबर के मुख्य संवाददाता अजय विद्यार्थी ने बांग्ला फिल्म के सुपर स्टार देव से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख कुछ अंश.
सवाल : आप बांग्ला सुपर स्टार के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस के सांसद भी हैं. आप दोनों दायित्व का निर्वहन में संतुलन कैसे बनाये रखते हैं?
जवाब : मैं चाहता हूं कि लोग मुझे केवल एक ‘एक्टर’ के रूप में ही जानें. आज यह दीदी का प्यार है. दीदी, मुझे एक (सांसद) एमपी के रूप में देखना चाहती थीं. इसलिए मैं एमपी बना हूं. इंसानों की भलाई के लिए पावर का इस्तेमाल करना चाहिए. मेरे एमपी बनने से मेरे लोकसभा केंद्र को फायदा मिले. लोकसभा क्षेत्र के लोगों को मैं उनकी मुसीबतोें से छुटकारा दिला पाऊं. यही पावर का सही इस्तेमाल है और जो मैं मानता हूं कि हम लोगों का देश बूढ़ा हो गया है. आज जितने भी राजनीतिज्ञ हैं, ज्यादातर 50 प्लस हैं. यू नीड यंग पीपुल अॉन द बोर्ड. कोई युवा राजनीति में आना नहीं चाहता है. राजनीति में डॉक्टर आयें, इंजीनियर आयें, आइआइटी वाले हैं. पढ़े-लिखे ऐसे वाइव्रेंट लोग आयें, जो फैनटेस्टिक आइडिया दे सकें. दे कैन टेक डिसिजन यही दीदी की कोशिश थी कि नये लड़के आगे अायें. हर पार्टी कोशिश करती है. अाप पूछोगे कि आप चाहते क्या हो? मैं चाहता हूं कि 2019 में जब एमपी का चुनाव हो, जो शिक्षित लोग हैं, जो डिसिजन मेकर हैं, जो सोच सकते हैं. जो क्रिएटिवली सोच सकते हैं, जिनको लगता है. देश के लिए कुछ करना चाहते. उन्हें राजनीति में आना चाहिए. इसकी सख्त जरूरत है. कोई नया बंदा राजनीति में नहीं आना चाहता है. नये युवा लोग आगे आयें. एडुकेटेड लोग आगे आयें.
सवाल : चुनाव में उम्मीदवार का चयन तो पार्टी करती है? यह पार्टी ही ऐसे लोगों को सामने ला सकती है?
जवाब : पार्टी किसी को घर से तो बुला कर नहीं ला सकती है. आपको खुद ही इसकी पहल करनी होगी. आपको सोशल वर्क करना होगा. आपको लोगों में पॉपुलर होना होगा. उनकी समस्याओं के समाधान के लिए आगे आना होगा. पोलिटिक्स नथिंग वट सोशल वर्क. अगर केवल डिग्री वाले को भी जगह दे दी जाये,तो यह भी गलत होगा. आपको सोशल वर्क करना होगा और लोगों के लिए काम करना होगा, तभी राजनीति में आपकी जगह बन पायेगी. आपको कुछ ऐसा करना होगा कि पार्टी को भी लगे. आपने कुछ किया है.
सवाल : केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू किया है. इस संबंध में आपका क्या कहना है?
जवाब : जीएसटी ऐसी चीज है कि अभी तक किसी को समझ में नहीं आया है. मुझे भी समझ में नहीं आता है. ये बड़े-बड़े मुद्दे हैं. हमें यह समझ में नहीं आता है. मेरा काम पिक्चर बनाना है. इस पर हम कुछ न बोलें तो अच्छा है. बाकी दीदी जैसा समझें. हम दीदी के साथ हैं.
सवाल : आपके मॉडल कौन हैं ?
जवाब : जो नया काम करता है. अच्छा काम करता है. जो अलग सोचते हैं. इंडिया में आइ लव अमीर खान, आइ लव रजनीकांत. रजनीकांत पकी दाढ़ी के साथ ही निकल पड़ते हैं. अमीर खान के लिए स्टारडम कुछ नहीं, वरन उनके लिए स्टारडम का मतलब है कुछ नया करना है. इसी में स्टारडम छिपा है. मैं इस एटीच्यूड भी पसंद करता हूं. एक बंदा अपनी फिल्म के लिए वजन बढ़ाता है और फिर उसे घटाता है. मैंने अपनी फिल्म चैंप के लिए 107 किलोग्राम के लिए वजन बढ़ाया था. हम लोग केवल वाउ-वाउ करते हैं, लेकिन जो यह करता है कि उसमें कितनी मेहनत छिपी होती है. उसमें कितना सेक्रेफाइस रहता है.
सवाल : दुर्गा पूजा पर पाठकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: दुर्गापूजा भारत के बड़े उत्सवों में से एक है. दुर्गा पूजा में बंगाल अलग ही लगता है. बंगाल दुल्हन की तरह सज जाती है. आइ लव दैट फेस ऑफ बंगाल. आप जिस रास्ते से रोज जाते हैं, वो रास्ता बदल जाता है. रास्ता का चेहरा बदल जाता है. होर्डिंग बदल जाता है. लोग सारी रात पूजा घूमते हैं. ये जो मजा है. ये मैंने किसी भी राज्य किसी फेस्टिवल में नहीं देखा है. वास्तव में पूजा एक स्टेट फिस्टिवल है. यह न तो हिंदू का व मुस्लिम का नहीं, वरन सभी समुदाय एक साथ मनाते हैं. मैंने मुस्लिमों को दुर्गा पूजा के दिन इंज्वॉय करते देखा है. ईसाइयों को पूजा में मजा करते देखा है. पंडालों को लेकर प्रतियोगिताएं होती हैं. पांच दिनों के उत्सव के लिए पूरे साल मेहनत करते हैं. हर बार नये आइडिया के साथ आते हैं. आइडिया हाइडिंग भी ब्रिलिएंट हैं. मैं यह और कहीं नहीं देखा है.
सवाल : क्या आप पूजा के दौरान घूमने जाते हैं?
जवाब: मैं टीवी पर ही पूजा घूम लेता हूं. पूजा के दौरान काफी भीड़ होती है तथा लगभग प्रत्येक पूजा पर कोई न कोई नयी फिल्म रिलीज होती है. उसमें ही व्यस्त रहता हूं. पूजा में दोस्त घर आ जाते हैं. उन्हीं के साथ पूजा का आनंद उठाता हूं.
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