कोलकाता. अलग गोरखालैंड राज्य के गठन की मांग पर पिछले दो महीने से भी अधिक समय से पहाड़ में बवाल मचा हुआ है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जहां अपनी मांग से एक इंच हटने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहा था, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी बार-बार यह घोषणा कर चुकी हैं कि वह बंगाल का बंटवारा नहीं होने देंगी. पर अब स्थिति में थोड़ा बदलाव होता नजर आ रहा है. अपनी मांग पर अटल मोर्चा ने अपने सुर को नरम करते हुए मुख्यमंत्री से राजनीतिक वार्ता शुरू करने का आग्रह किया है. मोर्चा का यह रुख उसके रवैये में एक बड़े परिवर्तन का सूचक माना जा रहा है.
मोर्चा प्रधान विमल गुरुंग ने पहाड़ समस्या पर बातचीत के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में श्री गुरुंग ने राजनीतिक वार्ता शुरू करने की अपील की है. हालांकि गुरुंग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी किसी भी मांग से पीछे नहीं हटे हैं.
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विमल गुरुंग ने लिखा है कि 1988 में गठित दार्जिलिंग गोरखा हिल कौंसिल एवं 2011 में गठित गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) सफल नहीं हुए. त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से जीटीए का गठन होने के बावजूद राज्य सरकार ने सभी विभागों का हस्तांतरण नहीं किया. जीटीए लोगों की आशाआें व उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहा है.
इसके साथ ही श्री गुरुंग ने पत्र में पहाड़ आंदोलन के दौरान विभिन्न मामलों में आरोपी मोर्चा के सभी नेताआें व समर्थकों के ऊपर से सभी मामले हटाने की मांग की है. फायरिंग में जिन मोरर्चा समर्थकों की मौत हुई हैं, उन्हें आर्थिक मुआवजा देने एवं फायरिंग की सीबीआइ अथवा न्यायिक जांच की भी उन्होंने मांग की है.
विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा एवं केंद्र सरकार से किसी तरह का समर्थन नहीं मिलने एवं राज्य सरकार के लगातार दबाव के कारण गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने बातचीत का रुख किया है.
उधर, मुख्यमंत्री ने विमल गुरुंग का पत्र मिलने से इंकार कर दिया है. राज्य सचिवालय नवान्न से निकलते समय मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें विमल गुरुंग का कोई पत्र नहीं मिला है. बल्कि उन्हें मोर्चा के एक अन्य नेता विनय तमांग का पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने 29 अगस्त को होने वाली सर्वदलीय बैठक में शामिल होने की बात कही है.
गौरतलब है कि पहाड़ समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए मुख्यमंत्री ने 29 अगस्त को एक सर्वदलीय बैठक बुलायी है. जिसमें शामिल होने के लिए उन्होंने मोर्चा समेत पहाड़ के सभी दलों को आमंत्रित किया है. पहाड़ समस्या का समाधान निकालने के लिए मुख्यमंत्री ने कई बार मोर्चा को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. पर अब तक उसने मुख्यमंत्री के हर आमंत्रण को ठुकरा दिया था. यह पहली बार है कि उसने स्वयं बातचीत का आह्वान किया है.