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ममता के निशाने पर राजभवन

तारकेश्वर मिश्र पश्चिम बंगाल की राजधानी में अचानक भूचाल का माहौल बन आया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पर धमकी देने का आरोप लगाया है और इसके बाद से तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता लगभग हर कार्यक्रम में राज्यपाल के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों की झड़ी लगा रहे हैं. केंद्रीय […]

तारकेश्वर मिश्र
पश्चिम बंगाल की राजधानी में अचानक भूचाल का माहौल बन आया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पर धमकी देने का आरोप लगाया है और इसके बाद से तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता लगभग हर कार्यक्रम में राज्यपाल के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों की झड़ी लगा रहे हैं. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री के साथ ही साथ राज्यपाल को फोन करके स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसका भी कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है.
राजनाथ सिंह के फोन करने के बाद खुद ममता बनर्जी ने राज्यपाल के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग बंद कर दिया है, लेकिन उनकी पार्टी के लगभग आधा दर्जन नेता जो पार्टी और सरकार में वरिष्ठ पदों पर आसीन हैं, राज्यपाल के खिलाफ घटिया माने जाने वाले शब्दों का जमकर प्रयोग कर रहे हैं.
इस घटनाक्रम का सूत्रपात कोलकाता महानगर से लगभग 40 किलोमीटर दूर बादुड़िया नामक स्थान पर दो समुदाय के लोगों के बीच उत्पन्न तनाव की घटना को लेकर हुआ. सोशल मीडिया पर एक समुदाय विशेष को आहत करने वाले एक पोस्ट को लेकर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों के घरों में लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की. आरोप है कि सुनियोजित तरीके से किसी अन्य इलाके से बड़ी संख्या में एक समुदाय विशेष के लोग गत रविवार को बादुड़िया पहुंचे और उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की. इस घटना से पीड़ित लोग जब भाग कर आसपास के अन्य इलाकों में पहुंचे तो उन इलाकों में भी सोमवार को जुलूस और नारेबाजी के कारण स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गयी. बादुड़िया में हिंसा की घटना को लेकर कई सामाजिक संगठनों का एक दल मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल से मिला.
राज्यपाल ने प्रशासनिक स्तर पर घटना की जानकारी लेने के बाद तुरंत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फोन किया. ममता बनर्जी ने राज्यपाल से फोन पर हुई बातचीत को लेकर राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर यह आरोप लगाया कि राज्यपाल ने उन्हें फोन कर धमकाया है.
राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में ममता के बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री के आरोप बेबुनियाद हैं. जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेतागण यह आरोप लगा रहे हैं कि राज्यपाल ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ नेताओं के प्रभाव में आकर मुख्यमंत्री से बात करके असंवैधानिक कार्य किया है. तृणमूल के कई नेताओं ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा है कि राजभवन भाजपा और आरएसएस का कार्यालय बन गया है.
इस बीच भाजपा पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी की सरकार बादुड़िया की घटना में प्रशासन की विफलता को छुपाने के प्रयास में लगी थी और चूंकि राज्यपाल ने खुद इस घटना को संज्ञान में लेते हुए उन्हें फोन कर दिया तो इससे उनके अहम को ठेस लग गयी. भाजपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि दार्जिलिंग से लेकर सागरतट तक फैले पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति अत्यंत दयनीय हालत में पहुंच चुकी है. प्रदेश भाजपा ने राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बेहतर करने के लिए शीघ्र राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है.
इन सभी घटनाक्रम से कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन में जाकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की थी. राजभवन सूत्रों के अनुसार तब मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को दार्जिलिंग में चल रहे गोरखा आंदोलन की स्थिति से अवगत कराया था. उन्होंने कई बार मीडिया के सामने भी यह स्वीकार किया है कि राज्यपाल एक विद्वान और सज्जन व्यक्ति हैं, फिर अचानक ऐसा क्या हो गया.
एक सज्जन व्यक्ति एक फोन वार्ता के बाद दुर्जन बन गया. तृणमूल के नेता उस व्यक्ति पर तरह-तरह के आरोप मढ़े जा रहे हैं. संभवतया इसके पीछे केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट है, जिसमें यह साफ तौर पर कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने दार्जिलिंग में हिंसा के माहौल को शांत करने की कोई कोशिश नहीं की और इससे वहां की स्थिति दिनों दिन बिगड़ रही है. रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है कि पड़ोसी देश चीन दार्जिलिंग के आंदोलनकारियों को लुभाने का प्रयास कर सकता है और इससे न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी स्थिति गंभीर हो सकती है. इसका ताजा उदाहरण सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग की यह टिप्पणी है- सिक्किम को चीन और बंगाल के बीच सैंडविच नहीं बनना है. माना जा रहा है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को फोन पर इस रिपोर्ट की जानकारी देने के साथ ही साथ कुछ नसीहत भी दे दी होगी और ममताजी के स्वभाव से राजनीति के प्राय: सभी खिलाड़ी भलिभांति परिचित हैं, उन्हें किसी की नसीहत सुनने की आदत ही नहीं है.
फिलहाल राज्य की राजनीति में माहौल काफी गर्म है और यह गरमी आगे क्या प्रभाव डालनेवाली है, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा. अगर हम भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की बात मानें तो केंद्र सरकार केशरीनाथ जी को राजस्थान भेजकर वहां से कल्याण सिंह को बंगाल लाने पर विचार कर सकती है, शायद वो इस स्थिति को बेहतर तरीके से व्यवस्थित कर सकेंगे.

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