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सीयू की सिंडिकेट बैठक में छात्रों के हित में फैसला

परीक्षा की मूल्यांकन पद्धति में 2009 का पुराना नियम लागू होगा अब फेल हुए छात्रों को मिलेगा द्वितीय वर्ष की परीक्षा में बैठने का माैका रिव्यू के बाद छात्रों को मिलेगी नयी मार्क्सशीट कोलकाता : मंगलवार को कलकत्ता यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट बैठक आयोजित की गयी. इसमें बीए, बीएससी पार्ट-1 परीक्षा के नतीजों में गिरावट को […]

परीक्षा की मूल्यांकन पद्धति में 2009 का पुराना नियम लागू होगा

अब फेल हुए छात्रों को मिलेगा द्वितीय वर्ष की परीक्षा में बैठने का माैका
रिव्यू के बाद छात्रों को मिलेगी नयी मार्क्सशीट
कोलकाता : मंगलवार को कलकत्ता यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट बैठक आयोजित की गयी. इसमें बीए, बीएससी पार्ट-1 परीक्षा के नतीजों में गिरावट को लेकर हुई बातचीत के बाद छात्रों के हित में फैसला किया गया. इस नयी घोषणा में अब वर्ष 2009 के पुराने नियम के अनुसार फेल हुए छात्रों को द्वितीय वर्ष की परीक्षा देने का माैका दिया जायेगा. बीए व बीएससी ऑनर्स छात्रों को एक ऑनर्स पेपर व पार्ट-1 के लिए दो इलेक्टिव पेपर्स पढ़ने का नियम था. वर्ष 2016 में यही नियम था कि पार्ट-1 के छात्र को तभी सफल माना जायेगा, जब वह ऑनर्स पेपर क्लीयर कर लेता है. इससे पहले 2009 में बनाये गये नियम के अनुसार छात्रों को इस बात की छूट थी कि अगर वे सप्लीमेंट्री परीक्षा में इलेक्टिव पेपर्स क्लीयर कर लेते हैं तो वे पार्ट-2 की परीक्षा में बैठ सकते हैं.
नया नियम 2016 में शुरू किया गया व एकेडमिक सत्र 2017-18 से लागू किया गया. इसके अनुसार छात्रों को ऑनर्स पेपर्स में पास करने के साथ कम से कम एक इलेक्टिव पेपर में पास करना अनिवार्य होगा. दूसरा इलेक्टिव पेपर छात्र सप्लीमेंट्री परीक्षा में भी दे सकते हैं. नये नियम के अनुसार हुए मूल्यांकन के बाद ही परीक्षा में कई छात्र फेल घोषित हो गये. इसको लेकर छात्रों ने लंबे समय तक यूनिवर्सिटी में धरना-प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग थी कि मूल्यांकन पद्धति में 2009 का नियम फिर से लागू किया जाये. छात्रों ने उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी दिया था. इसी पर फैसला करते हुए मंगलवार को सिंडिकेट ने 2009 के नियमानुसार छात्रों को द्वितीय वर्ष की परीक्षा देने का माैका दिये जाने की घोषणा की.
इस विषय में कलकत्ता यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर सोनाली बनर्जी चक्रवर्ती ने बताया कि अब 2009 के पुराने नियम के अनुसार छात्रों की परीक्षा का मूल्यांकन किया जायेगा. फेल हुए छात्रों को फिर से परीक्षा देने का माैका दिया जायेगा. परीक्षा के खराब नतीजों के कारण एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी, इस बात का काफी दुःख हैं. फिर से पुराने नियम (2009 प्रणाली) चालू करने से फेल होने वाले छात्रों की संख्या में कमी आयेगी.

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