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सर्विंग लीकर का लाइसेंस लेने में होटलों, क्लबों ने नहीं ली दिलचस्पी

टार्गेट पूरा करने में आबकारी विभाग के अधिकारियों के छूट रहे पसीने पिछले वर्ष एक रात के लिए छलके थे चार करोड़ रुपये के जाम महफिलों में रुपनारायणपुर. पुराने वर्ष की विदाई और नववर्ष के स्वागत को लेकर 31 दिसंबर को मनाये जाने वाले जश्न में नोटबंदी ने खलल डाल दिया है. अधिकांश जश्नों में […]

टार्गेट पूरा करने में आबकारी विभाग के अधिकारियों के छूट रहे पसीने
पिछले वर्ष एक रात के लिए छलके थे चार करोड़ रुपये के जाम महफिलों में
रुपनारायणपुर. पुराने वर्ष की विदाई और नववर्ष के स्वागत को लेकर 31 दिसंबर को मनाये जाने वाले जश्न में नोटबंदी ने खलल डाल दिया है. अधिकांश जश्नों में शराब मुख्य आइटम होता है.
राज्य सरकार के अबकारी विभाग बर्दवान (पश्चिम) जिला के अधिक्षक सुदीप सान्याल ने बताया कि पिछले वर्ष 31 दिसंबर की जश्न को लेकर जिले में एक दिन में चार करोड़ रुपये की शराब बिकी थी. लेकिन इस बार वह दो से ढाई करोड़ रुपये के बीच होगी. जिले के विभिन्न क्लबों में 31 दिसंबर को एक दिन के लिए सर्विग लीकर का लाइसेंस जारी होता था. लेकिन इस बार अनेक बड़े होटल और क्लबों ने लाइसेंस के लिए आवेदन ही नहीं किया.
जिले के ऑन शॉपों में भी मांग ज्यादा नहीं है. आठ नवंबर को नोट बंदी के बाद से ही शराब की बिक्री में गिरावट आ गयी है. बराकर से लेकर पानागढ़ तक आबकारी विभाग के बर्दवान (पश्चिम) जिला अंतर्गत 80 विदेशी शराब (ऑन शॉप), 60 विदेशी शराब दुकान, 53 देशी शराब और और 97 पोचाई (माड़ी) की लाइसेंसी दुकान है.
हालांकि राज्य सरकार ने सभी दुकानों को सबकुछ बेचने का लाइसेंस जारी कर दिया है. सिर्फ माड़ी, माड़ी की ही दुकान में बिकेगी. क्योंकि इसे खुद तैयार कर बेचना पड़ता है. किसी भी जश्न के माहौल में शराब एक प्रमुख आइटम का जगह ले चुका है. पश्चिम बंगाल फोरेन लीकर ऑफ शॉप ऑनर्स एसोसियेशन के सचिव अनुपम बनर्जी ने बताया कि प्रतिवर्ष एक दिन में सबसे अधिक शराब 31 दिसंबर को बिकती थी. ऑन शॉप में भी शराब की सबसे ज्यादा बिक्री इसी दिन होती थी. लेकिन नोटबंदी के कारण इस बार बाजार में काफी गिरावट आयी है. सभी पिकनिक स्पॉट पर शराब बंदी भी गिरावट का एक कारण है. बरसात के तीन माह जुलाई, अगस्त, सितंबर को छोड़ शराब की बिक्री पूरे साल अच्छी रहती है.
लेकिन साल के सबसे बड़े जश्न में नोटबंदी ने मुख्य खलल डाला. आबकारी अधीक्षक श्री सान्याल ने बताया कि बर्दवान (वेस्ट) जिला में पिछले वर्ष शराब के सभी प्रकार मिलाकर 325 करोड़ रुपये की बिक्री हुयी थी. जिले में दो विदेशी शराब की बोटलिंग प्लांट डिसरगढ़ में डायमंड और गोपालपुर में जोगबीक दो संस्थाएं बंद होने से कुछ गिरावट आयी थी. रही सही कसर नोटबंदी और राष्ट्रीय राजमार्ग से 500 मीटर हटकर शराब की दुकान होने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पूरी हो गयी. इन परिस्थितियों में सालाना लक्ष्य गिराकर 275 करोड़ रुपया किया गया. लेकिन वह भी पूरा करना कठिन चुनौती साबित हो रहा है. क्लब और होटलों में एक दिन का सर्विंग लीकर का लाइसेंस में भी काफी गिरावट आयी है. राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे दुकानदार डर से शराब नहीं उठा रहे है.
क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यदि स्टे ऑर्डर नहीं लगता है तो उन्हें 31 मार्च तक अपनी दुकानें वहां से हटानी होगी. शराब के कीमत में बढोतरी भी लोगों के जश्न के माहौल को प्रभावित कर रही है. इस वर्ष देशी शराब और माड़ी से 80 करोड़ और विदेशी शराब से 195 करोड़ रुपया का लक्ष्य विभिन्न कारणों से प्रभावित हो रहा है.

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