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ब्याज मद में करोड़ों का भुगतान नहीं

प्रबंधन के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाने में जुटे कंपनी के पीड़ित कर्मी ग्रेच्यूटी कंट्रोलिंग ऑथोरिटी के आदेश पर अधिकारी को हुआ है भुगतान रुपनारायणपुर. हिंदूस्तान केबल्स लिमिटेड प्रबंधन द्वारा 241 कर्मियों के दो वर्ष की ग्रेच्यूटी की राशि से प्राप्त ब्याज के रुप में करोड़ों रुपया का भुगतान नहीं किया जा रहा है. कर्मियों का […]

प्रबंधन के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाने में जुटे कंपनी के पीड़ित कर्मी
ग्रेच्यूटी कंट्रोलिंग ऑथोरिटी के आदेश पर अधिकारी को हुआ है भुगतान
रुपनारायणपुर. हिंदूस्तान केबल्स लिमिटेड प्रबंधन द्वारा 241 कर्मियों के दो वर्ष की ग्रेच्यूटी की राशि से प्राप्त ब्याज के रुप में करोड़ों रुपया का भुगतान नहीं किया जा रहा है. कर्मियों का आरोप है कि इस राशि की बंटरबांट की गयी है. उन्होंने इसके भुगतान की मांग की है.
श्रमिक नेता पारस प्रसाद ने कहा कि ब्याज की राशि भुगतान करने के लिए प्रबंधन को अनेक बार आवेदन किया गया. 14 मार्च, 2013 को उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी ब्याज की राशि भुगतान का आदेश दिया था. लेकिन प्रबंधन श्रमिकों की इस राशि के भुगतान के मामले में चुप है. श्रमिकों के पास हर बार अदालत में जाने का पैसा नहीं है. जिसका फायदा प्रबंधन उठा रहा है. यह राशि करोड़ों रुपयों की है. उन्होंने कहा कि एक अधिकारी को इस मद में 50 हजार रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रबंधन के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनायी जा रही है.
मामला है पूरा मामला
अक्तूबर, 2005 में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने एचसीएल के कर्मियों के अवकाश ग्रहण की उम्र सीमा 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष कर दी. प्रबंधन के स्तर से इसकी विज्ञप्ति जारी नहीं हो पायी. कर्मी 60 वर्ष तक सेवा कर अवकाश ग्रहण करते रहे. लेकिन भुगतान के समय ग्रेचूइटी व अन्य राशि का भुगतान 58 वर्ष को आधार पर हुआ. सुनील चौधरी व अन्य सौ कर्मी तथा धीरेंद्र नाथ मंडल व अन्य 141 कर्मी ने दो याचिकाएं प्रबंधन के खिलाफ कोलकाता उच्च न्यायालय में दायर किया. उच्च न्यायालय ने कर्मियों के पक्ष में निर्णय दिया. प्रबंधन ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर किया. 26 फरवरी, 2013 को एसएलपी खारिज हो गयी.
प्रबंधन ने पुनर्याचिका दायर की . नौ जुलाई को वह भी खारिज हो गयी. 18 नवंबर, 2013 को प्रबंधन ने 241 श्रमिकों को औसत तीन लाख रुपया करके दो वर्ष का बकाया ग्रेच्यूटी राशि का भुगतान किया. अन्य बकाया राशि 26 सितंबर, 2014 को मिली. 60 वर्ष के आधार पर प्रबंधन को श्रमिक के अवकाश ग्रहण के बाद ही ग्रेच्यूटी की राशि प्राप्त हो गयी थी. प्रबंधन ने दो वर्ष की राशि रोककर 58 वर्र्षो तक का ही भुगतान किया. ग्रेच्यूटी की मूल राशि का भुगतान हुआ. ब्याज के रुप में करोड़ों रुपयों का राशि का कोई ब्यौरा नहीं है.
क्या कहता है संबंधित नियम
पैमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट 1972 में बना. जिसके तहत श्रमिकों के अवकाश ग्रहण के उपरांत संस्था द्वारा श्रमिक के अंतिम वेतन के 15 दिन की राशि जितने वर्ष नौकरी की, उस वर्ष से गुणा कर जो राशि होगी, उसका भुगतान करना होगा. बाद में इस राशि की सिलिंग कर दी गयी. इस राशि का भुगतान अवकाश ग्रहण के एक माह के अंदर करना बाध्यता है.
बिलंब होने पर 10 प्रतिशत ब्याज के भुगतान का प्रावधान है. एक्ट के तृतीय संशोधन 1987 में हुआ. इसके तहत संस्था को ग्रेच्यूटी पॉलिसी के तहत ग्रुप ग्रेच्यूटी स्कीम में एलआइसी में पॉलिसी लेकर सालाना प्रिमियम भरना होगा. यही राशि एलआइसी से श्रमिकों को अवकाश ग्रहण के बाद प्राप्त होगी. एचसीएल मामले में 60 वर्ष के आधार पर श्रमिकों को राशि का भुगतान किया गया. प्रबंधन दो वर्ष की राशि अपने पास रेाककर पांच वर्षो तक रखा. अदालत में मामला हारने के बाद दो वर्षो की मूल राशि श्रमिकों को लौटा दी. लेकिन उसपर नियमानुसार 10 प्रतिशत ब्याज श्रमिकों को नहीं मिला.
हरिशंकर को 10 प्रतिशत ब्याज दिया
एचसीएल के स्टेट अधिकारी हरिशंकर चट्टोपाध्याय 30 नवंबर 2014 को रिटायर हुए,. कंपनी का आवास खाली न करने पर प्रबंधन ने उनकी ग्रेच्यूटी राशि का भुगतान रोक दिया.
प्रबंधन को चिट्ठी देने पर भी पैसा न मिलने पर श्री चट्टोपाध्याय ने पांच फरवरी, 2015 को ग्रेच्यूटी कंट्रोलिंग ऑथोरिटी सहायक श्रम आयुक्त (केंद्रीय) के पास मामला दायर किया. 29 जून, 2015 को मामला का निर्णय श्री चट्टोपाध्याय के पक्ष में आया और सहायक श्रम आयुक्त ने एचसीएल प्रबंधन को अवकाश ग्रहण से भुगतान के दिन तक दस प्रतिशत ब्याज की दर से ग्रेच्यूटी राशि भुगतान करने को कहा. प्रबंधन ने इस निर्णय के खिलाफ श्री चट्टोपाध्याय को प्राप्त ग्रेचूइटी की राशि सात लाख 38 हजार 730 रुपया पर 19 अगस्त 2015 तक दस प्रतिशत ब्याज जोड़कर कुल राशि उप मुख्य श्रम आयुक्त के पास जमा कर निर्णय को चुनौती दी. 26 अप्रैल 2016 को श्री चट्टोपाध्याय के पक्ष में निर्णय आया. प्रबंधन द्वारा उपमुख्य श्रम आयुक्त के पास मूल राशि पर दस प्रतिशत की दर से जमा राशि का पूरा पैसा श्री चट्टोपाध्याय को 15 जून 2016 को प्राप्त हुआ.
क्या कहना है प्रबंधन का
प्रबंधन के अनुसार हरिशंकर चट्टोपाध्याय मामले के ब्याज सहित राशि भुगतान का आदेश जारी हुआ था लेकिन दो वर्ष वाले श्रमिकों के मामले में सेलरी, वेज व अन्य राशि भुगतान की बात अदालत ने कही. जिसके आधार पर श्रमिकों को भुगतान हुआ. यहां ब्याज का कोई जिक्र नही था.

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