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पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में
पुरुलिया : भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं नाक कटी काली मंदिर में पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हर वर्ष उमड़ती है भक्तों की भारी भीड़ आद्रा. दो दिनों बाद शक्ति की देवी मां काली की आराधना आरंभ होगी. राज्य भर में काली पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है. पुरुलिया में नाक कटी […]
पुरुलिया : भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं नाक कटी काली मंदिर में पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हर वर्ष उमड़ती है भक्तों की भारी भीड़ आद्रा. दो दिनों बाद शक्ति की देवी मां काली की आराधना आरंभ होगी. राज्य भर में काली पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है. पुरुलिया में नाक कटी काली की पूजा काफी मशहूर है.
पुरुलिया शहर के वार्ड सात के मिष्टीमहल गली के अंितम छोर पर स्थित मंदिर में पूजा की तैयािरयां लगभग पूरी कर ली गई हैं. पुरुलिया के अलावा पड़ोसी राज्य से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां पूजा करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बूढ़े-बुजुर्गों ने बताया िक पहले पूरा शहर जंगल था.
आदिवासी यहां फसल उगाते थे. एक बार डकैतों का दल फसल चुराने आया तो मां काली ने मानव रूप में उन्हें डकैती से रोक िदया. उस समय एक डकैत ने अपनी तलवार से मां काली का नाक काट दिया. उसी समय मां पत्थर के रूप में बदल गई और वहीं रह गई. इसके बाद से ही पीपल के पेड़ के नीचे आज भी मां काली का यह रूप देखा जाता है.
इसके अलावा पास ही एक पत्थर पर मां काली के पैर के निशान भी हैं. उसे लोग आज भी श्रद्धा के साथ पूजते हैं. अब यहां श्रद्धालुओं ने छोटा सा मंदिर भी बना िदया है. प्रति वर्ष काली पूजा के मौके पर हजारों की संख्या में काली भक्त यहां पूजा करने आते है. काली पूजा के अलावा आम दिनों में भी लोग यहां पूजा-अर्चना करते तथा मन्नत मांगने पहुंचते हैं.
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