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कोयला श्रमिकों को बोनस मद में मिलेंगे 54 हजार
जेबीसीसीआइ-नौ की मानकीकरण कमेटी की बैठक चली घंटों ठेका श्रमिकों को मिलेगा एक माह का वेतन बोनस के रूप में छह हजार को लेकर दोनों पक्ष अड़े रहे पांच घंटों तक आसनसोल : साढ़े तीन लाख कोयला श्रमिकों के दुर्गापूजा बोनस के मुद्दे पर मंगलवार को कोलकाता स्थित कोल इंडिया लिमिटेड मुख्यालय में जेबीसीसीआइ-नौ की […]
जेबीसीसीआइ-नौ की मानकीकरण कमेटी की बैठक चली घंटों
ठेका श्रमिकों को मिलेगा एक माह का वेतन बोनस के रूप में
छह हजार को लेकर दोनों पक्ष अड़े रहे पांच घंटों तक
आसनसोल : साढ़े तीन लाख कोयला श्रमिकों के दुर्गापूजा बोनस के मुद्दे पर मंगलवार को कोलकाता स्थित कोल इंडिया लिमिटेड मुख्यालय में जेबीसीसीआइ-नौ की मानकीकरण कमेटी की बैठक हुयी.
इसमें 54 हजार रुपये के भुगतान पर सहमति बनी. ठेका श्रमिकों को 8.33 फीसदी यानी एक माह के वेतन राशि के भुगतान का निर्णय लिया गया. हालांकि प्रबंधन व यूनियन नेताओं के बीच बनी हठधर्मिता के कारण नौ बजे रात तक कोई सहमति नहीं बन पायी थी. प्रबंधन 51 हजार रुपये के भुगतान करने को तैयार था, जबकि यूनियन नेता 57 हजार रुपये की मांग कर रहे थे. आखिरकार 54 हजार पर सहमति बनी.
जैक के संयोजक, पूर्व सांसद सह कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव आरसी सिंह तथा कोलियरी मजदूर कांग्रेस (एचएमएस) के महासचिव शिवकांत पांडेय ने कहा कि बैठक में सीआइएल के निदेशक (पीएंडआइआर) आर मोहन दास, एनसीएल के कार्मिक निदेशक शांतिलता साहु, इसीएल के कार्मिक निदेशक केएस पात्र, बीसीसीएल के कार्मिक निदेशक बीके पांड़ा, एसइसीएल के कार्मिक निदेशक डॉ आरएस झा, सीसीएल के कार्मिक निदेशक आरएस महापात्र, डब्ल्यूसीएल के कार्मिक निदेशक डॉ संजय कुमार, एमसीएल के कार्मिक निदेशक एनएन मिश्र, एससीसीएल के निदेशक (पी/एएंडडब्ल्यू) जे पवित्रण कुमार, यूनियन प्रतिनिधियों में एटक के रमेन्द्र कुमार, इंटक के राजेन्द्र प्रसाद सिंह, एचएमएस के नात्थूलाल पांडेय, बीएमएस से प्रदीप कुमार दत्ता व सीटू से डीडी रामानंदन आदि शामिल थे.
बैठक मंगलवार को कोल इंडिया लिमिटेड के मुख्यालय कोयला भवन में शुरू हुयी. प्रबंधन ने कोल इंडिया लिमिटेड की आर्थिक हालत का हवाला देते हुए पूर्व बोनस राशि 48,500 रूपये देने का प्रस्ताव रखा. जबकि यूनियन प्रतिनिधियों ने 60 हजार रुपये का प्रस्ताव रखा. दोनों पक्षों ने अपने -अपने प्रस्ताव के पक्ष दलीलें दी. कोई भी पक्ष अपने स्तर से उपर या नीचे आने को तैयार नहीं था.
पहले सत्र की बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गयी. दूसरे चरण की बैठक में दोनों पक्षों ने लचीला रुख अपनाया. प्रबंधन ने 51 हजार रुपये भुगतान का प्रस्ताव रखा. उसका कहना था कि ढ़ाई हजार रुपये की वृद्धि की जा रही है. दूसरी ओर यूनियन प्रतिनिधियों ने भी 57 हजार रुपये की मांग रखी. उनका कहना था कि वर्ष 2014 में 40 हजडार रुपये का भुगतान किया गया था. वर्ष 2015 में 48,500 रुपये का भुगतान हुआ.
इस प्रकार साढ़े आठ हजार रुपये की राशि की वृद्धि की गयी. इस वर्ष भी इतनी राशि की वृद्धि की जाये. यह राशि 57 हजार रुपये होती है. संध्या आठ बजे तक दोनों पक्ष अपने-अपने प्रस्ताव पर अड़े रहे. मामला छह हजार रूपये के अंतर पर आकर लटक गया. अंत में यूनियन प्रतिनिधियों ने हड़ताल की धमकी दी. प्रबंधन ने 54 हजार पर हाथ खड़े कर दिये. ठेका श्रमिकों के लिए 8.33 फीसदी भुगतान पर सहमति बनी.
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