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सीपी आज, अड्डा चेयरमैन कल लेंगे प्रभार
बदलाव : अगले दो दिन में आसनसोल-दुर्गापुर को मिलेंगे दो नये अधिकारी सरकार गठन से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विकास को और तेज गति से चलाने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. इस दौरान नये पुलिस कमिश्नर व अड्डा के नये चेयरमैन की तैनाती काफी मायने […]
बदलाव : अगले दो दिन में आसनसोल-दुर्गापुर को मिलेंगे दो नये अधिकारी
सरकार गठन से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विकास को और तेज गति से चलाने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. इस दौरान नये पुलिस कमिश्नर व अड्डा के नये चेयरमैन की तैनाती काफी मायने रखती है. दोनों को अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए दायित्वों का निर्वाह करना है.
आसनसोल. आसनसोल दुर्गापुर महकमा क्षेत्र के लिए आगामी दो दिन काफी महत्वपूर्ण होंगे तथा उन्हें दो नये अधिकारी मिलेंगे. पुलिस कमीश्नर के पद पर नवपदास्थापित लक्ष्मी नारायण मीणा बुधवार को प्रभार लेंगे, वहीं आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकार (अड्डा) के चेयरमैन के रूप में विधायक तापस बनर्जी गुरुवार को प्रभार ग्रहण करेंगे. श्री मीणा के सामने जहां विधि व कानून व्यवस्था बनाये रखने के साथ-साथ कोयला तस्करी की नकेल कसने की मुख्य जिम्मेवारी होगी, वहीं विधायक श्री बनर्जी के समक्ष अड्डा के स्तर से चल रही विकास योजनाओं की गति को और तेज करने की चुनौती होगी.
सरकार गठन से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधायक श्री बनर्जी को अड्डा का चेयरमैन बनाने की घोषणा की थी. उनके पदस्थापन का आधिकारिक पत्र राज्य सरकार ने जारी कर दिया है.
पत्र अड्डा कार्यालय को प्राप्त हो गया है. विधायक श्री बनर्जी संभवत: गुरुवार को मौजूदा चेयरमैन डॉ निखिल बनर्जी से प्रभार ग्रहण करेंगे. इसके पहले भी श्री बनर्जी अड्डा के चेयरमैन का दायित्व निभा चुके हैं. लेकिन उन्हें यह दायित्व अतिरिक्त मिला था. उस समय वे आसनसोल नगर निगम के मेयर भी थे. बाद में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति के तहत दुर्गापुर पूर्व के तत्कालीन विधायक डॉ निखिल बनर्जी को अड्डा का चेयरमैन बनाया गया था.
पिछले वर्ष के अंतिम दौर में मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी ने डॉ बनर्जी के कार्य के प्रति सार्वजनिक रुप से असंतोष जताया. उनके सहयोग के लिए विधायक श्री बनर्जी को अड्डा का वाइस चेयरमैन बनाया गया. वे अभी भी इस पद पर काबिज है. विधानसभा चुनाव में डॉ बनर्जी को टिकट नहीं मिला तथा चुनाव जीतने के बाद हुयी पहली सांगठनिक बैठक में मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी ने श्री बनर्जी को अड्डा का चेयरमैन बनाने की घोषणा की.
सूत्रों ने बताया कि अड्डा राज्य सरकार की नोडेल एजेंसी है तथा इसका दायित्व आसनसोल-दुर्गापुर इलाके में विकास की गति को तेज करना है. चेयरमैन के रूप में श्री बनर्जी के सामने यही मुख्य चुनौती है. विकास विधानसभा चुनाव में तृणमूल के लिए टर्मकार्ड साबित हुआ है.
इस कारण विकास पर मुख्य जोर रहेगा. पिछले वर्ष में अड्डा ने सौ करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं पर कार्य शुरू किया है. इनमें से 35 करोड़ रुपये लागत से अधिक की योजनआएं पूरी हो चुकी है. शेष योजनाएं बी चल रही है. श्री बनर्जी को इन योजनाओं की गति तेज कर इसे समय पर पूरा करना होगा. अगले साल दुर्गापुर नगर निगम का चुनाव होना है.
उसे देखते हुए भी अड्डा की भूमिका महत्वपूर्ण है. शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में निर्णायक भूमिका है. जामुड़िया में आठ करोड़ रुपये से अधिक राशि से, मंगलपुर औद्योगिक इलाके में पांच करोड़ रुपये से अधिक तथा आसनसोल के केएसटीपी में छह करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सड़कें व नालियां बनायी गयी है.
इधर चुनाव के बाद अप्रत्याशित रुप से छह माह छह दिन के अंदर ही पुलिस कमीश्नरेट सिद्धनाथ गुप्ता का तबादला कर दिया गया है. उनके तबादले को कमीश्नरेट क्षेत्र में विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि विभागीय स्कर पर इसे रूटीन तबादला कहा जा रहा है. क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से तृणमूल को पांच तथा कांग्रेस व वाममोर्चा गंठबंधन को चार सीटें मिली थी. वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल की सात सीटें थी.
इस बार रानीगंज खोने के बाद पांडेश्वर में जीत मिली है, लेकिन दुर्गापुर शहर क ी दोनों सीटें खोनी पड़ी है. उनके स्थान पर पदास्थापित श्री मीणा बुधवार को प्रभार ग्रहण करेंगे. उनके सामने मुख्य चुनौती बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करने के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की संख्या में रही कमी को दूर करना तथा आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है. पिछले दिनों कई आपराधिक घटनाएं खास कर हत्याएं हुयी हैं, जिनका उद्भेदन नहीं हो सका है. उन्हें अंतिम मुकाम पर पहुंचाना होगा. विधि सह श्रम मंत्री मलय घटक कह चुके हैं कि उनकी प्राथमिकता अधिक से अधिक मामलों का कोर्ट से निष्पादन होगा. इस स्थिति में यह पहल जरूरी होगी. साथ ही कोयले की तस्करी पर पूर्ण नियंत्रण लगाना भी मुख्य चुनौती होगी.
कोयलाचंल में कोयला तस्करी पर पूर्ण रूप से रोक कभी नहीं लग सकी है. लेकिन मौका मिलते ही कोयला तस्कर अपनी रंगत में आ जाते हैं. इस समय उनकी गतिविधियां बढ़ रही है. उसे नियंत्रित करना होगा. वैसे भी मुख्यमंत्री ने वर्ष 2011 से ही कोयला तस्करी को निशाने पर रखा है.
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