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आसनसोल ननि की 15 कट्ठा जमीन हो गयी गायब
रेलपार के ओके रोड में तालाब भराई की शिकायत की जांच में बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर निगम की 15 कट्ठी जमीन गायब हो गयी है. साफ है कि इसका अतिक्रमण हो गया है. इसकी बाजार कीमत इस समय लाखों में है. बोरो चेयरमैन गुलाम सरवर ने इसकी जांच का दायित्व अधिकारियों को सौंपा […]
रेलपार के ओके रोड में तालाब भराई की शिकायत की जांच में बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर निगम की 15 कट्ठी जमीन गायब हो गयी है. साफ है कि इसका अतिक्रमण हो गया है. इसकी बाजार कीमत इस समय लाखों में है. बोरो चेयरमैन गुलाम सरवर ने इसकी जांच का दायित्व अधिकारियों को सौंपा है. यह करोड़ों की भूमि घोटाले की शुरुआत हो सकती है.
आसनसोल : रेलपार अंतर्गत इकबाल सेतु से ओके रोड के बीच में तालाब के निकट स्थित आसनसोल नगरनिगम की 15 कट्ठा जमीन गायब हो गयी है. तीन नंबर बोरो कमेटी के चेयरमैन गुलाम सरवर ने कहा कि यह जमीन खोजने के बाद भी नहीं मिल रही है.
इसे तलाशने की जिम्मेवारी सहायक अभियंता आर श्रीवास्तव और सव्रेयर स्वप्न घोष को दी गयी है. इसकी तलाश होने के बाद कार्रवाई की जायेगी. जानकार सूत्रों का कहना है कि नगर निगम की इस जमीन पर अवैध निर्माण कर लिया गया है. नगर निगम के इस तरह के कई भूखंड अपना अस्तित्व खो चुके हैं. यदि पूरे मामले की जांच की जाये तो करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन का मामला सामने आ सकता है.
कैसे हुआ खुलासा
रेलपार अंतर्गत ओके रोड निवासी जमाल अहमद, मुहम्मद शमशेर, मुहम्मद आफताब आदि ने मेयर जितेन्द्र तिवारी से शिकायत की कि इकबाल सेतु से ओके रोड के बीच में स्थित तालाब का अस्तित्व है. इस तलाब की भराई कर इसका अतिक्रमण करने की प्रक्रिया जारी है.
मेयर श्री तिवारी ने इस शिकायत को जांच के लिए तीन नंबर बोरो कमेटी के चेयरमैन श्री सरवर को सौंप दिया. श्री सरवर ने कहा कि रेल पार इलाके में इकबाल सेतु से ओके रोड के बीच में तालाब था. तालाब के नजदीक की 11 कट्ठा जमीन(प्लॉट संख्या 11764, 11763 खतियान संख्या 7061) को तत्कालीन आसनसोल म्यूनिसिपल के तत्कालीन चेयरमैन रहे गौतम राय चौधरी ने दस हजार रुपये की कीमत में मरियम बीबी से खरीदी थी. उक्त भूखंड के पास ही चार कट्ठा जमीन मोहम्मद आयूब की थी.
उन्होंने आसनसोल म्यूनिसिपल को जमीन बेचने से इंकार कर दिया था. उन्होंने वैकल्पिक जमीन पर मकान का प्रस्ताव रखा था. आसनसोल म्यूनिसिपल ने ओके रोड के निकट चार रूम बना कर उन्हें आवंटित किया. इसके बाद उक्त चार कट्ठा जमीन भी आसनसोल म्यूनिसिपल की हो गयी. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह जमीन नहीं मिल रही है.
उन्होंने कहा कि उनके स्तर पर जांच के दौरान वह जमीन नहीं मिली. लेकिन उक्त स्थल पर कुछ निर्माण जरूर दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि मामले की जांच का दायित्व नगर निगम के सहायक इंजीनियर आर श्रीवास्तव तथा सर्वेयर स्वपन घोष को दिया गया है. मामले की जांच रिपोर्ट मिलते ही मेयर श्री तिवारी व नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को सौंपी जायेगी.
उसके बाद निर्देश के आलोक में उचित कार्रवाई की जायेगी.
सूत्रों ने बताया कि इकबाल सेतु व ओके रोड को जोड़ने के लिए उक्त जमीन की खरीदारी की गयी थी. लेकिन जमीन की खरीदारी करने के बाद यह कार्य नहीं किया गया. जमीन बेकार पड़ी रही. बाद में इस जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया तथा उस पर पक्का निर्माण कर लिया गया. पूरे मामले में तत्कालीन म्यूनिसिपल अधिकारियों व पदाधिकारियों की भूमिका विवाद के केंद्र में है.
सवाल यह है कि जब सड़क निर्माण करना ही नहीं था, तो इस जमीन की खरीदारी क्यों की गयी? जमीन खरीदने तथा जनता की राशि से वैकल्पिक आवास बनाने के बाद उसका उपयोग क्यों नहीं किया गया? क्या कुछ लोगों को लाभानिव्त करने के लिए ही पूरी कवायद की गयी? यदि उक्त जमीन पर अतिक्रमण होता रहा तो किसी भी निगम अधिकारी ने इस दिशा में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
यदि अतिक्रमित जमीन पर पक्का निर्माण हुआ तो बिना प्लान मंजूरी के निर्माण की इजाजत किसने दी? यदि इन निर्माण को म्यूनिसिपल से मंजूरी मिली तो किस आधार पर प्लान को मंजूरी दे दी गयी? क्या नगर निगम की जमीन के अतिक्रमण का यह पहला और अंतिम मामला है? इन सारे सवालों का जबाब ही बरे घोटाले के पर्दाफाश के लिए तथ्य बन सकते हैं.
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