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आसनसोल : काली पट्टियां लगाकर विसर्जन
आसनसोल. राज्य सरकार के जारी निर्देश व पुलिस अधिकारियों की हठधर्मिता के िखलाफ स्थानीय लोगों ने गाजे-बाजे व पूरे उल्लास के साथ मां दुर्गा सहित देवी-देवताओं की विसर्जन यात्रा के दौरान काली पताका हाथ में लिए व बांहों पर काली पट्टी बांध कर िनकले. आक्रोशित युवकों की एक बड़ी तादाद महावीरी झंडों के बजाय खाली […]
आसनसोल. राज्य सरकार के जारी निर्देश व पुलिस अधिकारियों की हठधर्मिता के िखलाफ स्थानीय लोगों ने गाजे-बाजे व पूरे उल्लास के साथ मां दुर्गा सहित देवी-देवताओं की विसर्जन यात्रा के दौरान काली पताका हाथ में लिए व बांहों पर काली पट्टी बांध कर िनकले. आक्रोशित युवकों की एक बड़ी तादाद महावीरी झंडों के बजाय खाली हाथ सड़कों पर उतर आयी, अपने आक्रोश का इजहार किया, पुलिस अधिकारियों के साथ उलझे और तृणमूल के बुधा स्थित पार्टी कार्यालय में आग लगा दी.
शहर के बीच बने तृणमूल के कैंप में तोड़-फोड़ की गयी. पुलिस अधिकारियों ने बल प्रयोग कर इन युवकों को खदेड़ा. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी अभियान स्थगित रखा. बकौल पुलिस आयुक्त अजय नंद, 25 अक्तूबर से पुलिसिया अभियान चलाया जायेगा.
सड़कों पर दिखता रहा आक्रोश
पहले चरण में थाना स्तर पर व अंतिम दौर में केंद्रीय स्तर पर स्वयं पुलिस आयुक्त श्री नंद ने रवीद्र भवन में महावीरी अखाड़ा व मोहर्रम अखाड़ा कमेटियों के साथ बैठक की. लेकिन श्री नंद राज्य सरकार के निर्देश और महावीरी अखाड़ा कमेटियां परम्परा व आस्था के नाम पर अपने-अपने स्टैंड पर डटे रहे.
मेयर जितेंद्र तिवारी ने भी अखाड़ा कमेटियों के प्रतिनिधियों से अलग से बैठक की. लेकिन बात नहीं बनी. सेंट्रल मोहर्रम कमेटी, स्थानीय प्रशासन, किसी भी राजनीतिक या सामाजिक संगठन के स्तर से सार्थक पहल न होने के कारण अंतिम समय तक टकराव बनी रही. महाष्टमी तक पूजा का उल्लास शहर में दिखता रहा. लेकिन महानवमी को स्थिति बदल गयीं महावीरी अखाड़ों ने नवमी की रात में अखाड़े नहीं निकाले.
सैकड़ों की संख्या में उत्तेजित युवक रात में सड़कों पर उतर आये. उन्होंने आपत्तिजनक तरीके से अपने आक्रोश का इजहार किया. दशमी को भी महावीरी अखाड़े नहीं निकले. युवकों की भारी जमात शुक्रवार को भी शहर की मुख्य सड़क पर उतर आयी. आक्रोश के तेवर अधिक उग्र व विस्फोटक थे. महावीर मंदिर के पास पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी झड़प भी हुई. पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति नियंत्रित की. भगदड़ में कई घायल हो गये. इसका असर यह हुआ कि मोहर्रम अखाड़ा कमेटियों ने भी अपना अखाड़ा नहीं निकाला. शनिवार को पुलिस आयुक्त श्री नंद के सुरक्षा के भरोसे के बाद मोहर्रम का जुलूस निकला.
क्या है मामला
आसनसोल व बर्नपुर शहरों में दुर्गापूजा के साथ-साथ महावीर अखाड़ों का विशेष महत्व है. इन अखाड़ों को निकालने से पहले कमेटियां समाज के विभिन्न तबकों के विशिष्ट प्रतिनिधियों को केसरिया पगड़ी बांध कर सम्मानित करती हैं. इसके बाद नवमी व दशमी को अखाड़ा निकालती हैं.
बंगाली समुदाय दुर्गापूजा व हिंदी भाषी समुदाय महावीरी अखाड़ा में विशेष रूप से उत्साहित होता है. इस वर्ष 21 अक्तूबर को नवमी व 22 अक्तूबर को दशमी होने का तर्क देकर राज्य सरकार ने 23 व 24 अक्तूबर को मोहर्रम के जुलूस को प्राथमिकता दी. इन दोनों दिन प्रतिमा विसजर्न व महावीर अखाड़ों पर रोक लगा दी गयी. इस मुद्दे पर पुलिस महकमे व अखाड़ा कमेटियों के बीच टकराव की स्थिति बन गयी. बर्नपुर में स्थानीय पार्षदों व मोहर्रम अखाड़ा कमेटियों की पहल पर बात बन गयी और 23 अक्तूबर को पूरी शांति में विसजर्न यात्र व अखाड़े निकले. लेकिन इस तरह की पहल अासनसोल में नहीं हो सकी.
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