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राहुल सांकृत्यायन के साहित्य का सामाजिक पहलू है बेहद प्रभावी
आसनसोल : जनवादी लेखक संघ के बर्दवान जिला सचिव व चुरुलिया कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ संत राम ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन के साहित्य के सामाजिक पहलू सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. इस दिशा में रिसर्च की व्यापक संभावना है. वे गुरुवार को बीबी कॉलेज के हिंदी विभाग में आयोजित जयंती समारोह को संबोधित कर रहे […]
आसनसोल : जनवादी लेखक संघ के बर्दवान जिला सचिव व चुरुलिया कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ संत राम ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन के साहित्य के सामाजिक पहलू सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. इस दिशा में रिसर्च की व्यापक संभावना है. वे गुरुवार को बीबी कॉलेज के हिंदी विभाग में आयोजित जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. अध्यक्षता कॉलेज के टीचर इंचार्ज डॉ अमलेश चटर्जी ने की.
डॉ संतराम ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन के संबंध में विश्वविद्यालयों में काफी कम पढ़ाया जाता है. जबकि उनके व्यक्तित्व में बहुआयामी विशिष्टताएं शामिल थी. उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता को देखते हुए लंबे समय से उन्हें स्नातकोत्तर कक्षा के सिलेबस में शामिल करने की मांग की जा रही थी. खुशी की बात है कि बर्दवान विश्वविद्यालय ने इस शिक्षण सत्र से उन्हें सिलेबस में विशेष अध्ययन के रूप में शामिल किया है.
उन्होंने कहा कि श्री सांस्कृत्यायन की रचनाओ ं में दर्शन, भाषा तथा साहित्य के विभिन्न रूपों की निरन्तरता दिखती है. यही कारण है कि उन्होंने जीवन के हर पहलू के बारे ममें गहन अध्ययन किया तथा छपाई की उन्नत तकनीक नहीं रहने के बाद भी उन्होंने 140 से अधिक पुस्तकें लिखी. उन्होंने कहा कि उनकी कहानियां नये आयाम लेकर सामने आती है. गांव में खुदाई के दौरान जब समृद्ध सभ्यता व संस्कृति से जुड़े साक्ष्य मिलते हैं तो वे उसकी चर्चा करते हुये किसानों की तत्कालीन स्थिति को उससे जोड़ते है. उन्होंने कहा कि समाज के उतार-चढ़ाव को समझने के लिए ‘बोल्गा से गंगा’ पूरी तरह से सक्षम है. उन्होंने उस समय में प्रबावी रहे धर्म का भी गहन अध्ययन किया. वेदांत से लेकर आर्य समाज और इस्लाम से लेकर बौद्ध धर्म तक का विवेचन किया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी धर्मो में मानवता को ही प्रधानता दी गयी है. लेकिन धर्म के ठेकेदारों ने अपने हितों में इसका विवेचन कर रखा है.
डॉ अरुण पांडे ने कहा कि अपनी जन्मभूमि आजमगढ़ से जब किशोरावस्था में उन्होंने पलायन किया तो सीधे छपरा जिले के परसा मठ में प्रवास किया. वहां उन्होंने वेदांत का अध्ययन किया .
लेकिन उन्होंने वहां किसानों के शोषण को नजदीक से देखा. उनके युवा मन ने विद्रोह किया तथा वे गन्ना के किसानों के आंदोलन में शामिल हुए. इसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. लेकिन उनका आंदोलन चलता रहा. इसके बाद उन्होंने विभिन्न धर्मो का गहन अध्ययन किया. श्रीलंका, भूटान, चीन, तिब्बत तथा मध्य एशिया के विभिन्न देशों का भ्रमण किया. तिब्बत से 21 खच्चरों पर लाद कर बौद्ध धर्म की दुर्लभ कृतियों को अपने देश ले आना उनकी बड़ी उपलब्धि थी. उन्होंने मार्क्सवाद को वैज्ञानिक दर्शन बताते हुए इसे सर्वश्रेष्ठ बताया था.
उनका हिंदी साहित्य को समझने के अनोखा अंदाज था. हिंदी के आदि काल को भी उन्होंने सिद्ध व सामंत के रूप में चिन्हित किया. सृजन के रूप में किसान तथा उनके ससमानान्तर शोषक रहे सामंत थे. इस समय उनकी प्रासंगिकता सबसे अधिक है. संचालन बबिता कुमारी ने किया. मुख्य वक्ताओं में कॉलेज के टीचर इंचार्ज डॉ चटर्जी तथा कॉलेज छात्र पूजा ओझा शामिल थी. विभाग के शिक्षक डॉ राजेंद्र शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
आसनसोल : रेलवे स्टेशन व चलन्त ट्रेनों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा अवैध हॉकरों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत हो रही गिरफ्तारी व प्रताड़ना के विरोध में तृणमूल नेताओं ने गुरुवार को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के समक्ष जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. डीआरएम एनके सचान के तीन प्रतिनिधियों से मिलने की बात पर प्रदर्शनकारी उग्र हो गये तथा गेट के समक्ष टायर जला कर भारी हंगामा किया. काफी देर तक सड़क से आवागमन बाधित रहा. आगामी समय में जोरदार आंदोलन की घोषणा के बाद प्रदर्शन समाप्त हो गया.
प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी के जिला कार्यकारी अध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू, आसनसोल नगर निगम के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र तिवारी, पूर्व उपमेयर अमरनाथ चटर्जी, आसनसोल सबडीविजनल मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के सचिव राजू अहलुवालिया, मोहम्मद कलाम, विश्वरंजन बोस, पूर्व पार्षद कुर्बान अली आदि ने किया. सुबह 11 बजे स्टेशन परिसर से भारी संख्या में हॉकर जिला कार्यकारी अध्यक्ष श्री दासू के नेतृत्व में जुलूस निकाल कर डीआरएम कार्यालय के समक्ष पहुंचे. गेट के समक्ष प्रदर्शन के दौरान कार्यालय के सामने से गुजरनेवाले सभी वाहनों का आवागमन रोक दिया गया. वहां सभा की गयी.
वक्ताओं ने कहा कि दशकों से हजारों हॉकर रेलवे स्टेशन परिसरों और चलन्त ट्रेनों में हॉकरी कर अपने परिवार का जीवन-यापन कर रहे हैं. लेकिन उन्हें अवैध बता कर उनके रोजगार को प्रतिबंधित किया गया है. इससे सभी हॉकर बेरोजगार हो जायेंगे. रेलवे सुरक्षा बल के कर्मी हॉकरों पर तरह-तरह के झूठे आरोप लगा रहे हैं. रेलवे में जब कोई दुर्घटना या अपराध होता है तो सबसे पहले सहायता के लिए हॉकर ही पहुंचते हैं. यात्रियों की हर सुविधा का ध्यान हॉकर ही रखते हैं. इनके न रहने से सात्रियों को भी परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि वर्षो से हॉकर लाइसेंस जारी करने की मांग कर रहे हैं. लाइसेंस निर्गत होने तक हॉकरी करने की अनुमति प्रदान करनी होगी, अन्यथा तृणमूल जोरदार आंदोलन करेगी.
सभा के दौरान श्री दासू के नेतृत्व में सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल डीआरएम श्री सचान से मिलने के लिए कार्यालय में गया. इसमें श्री दासू, पूर्व उपमेयर श्री चटर्जी, यूनियन नेता श्री अहलूवालिया तथा चार हॉकर शामिल थे.
डीआरएम कार्यालय से कहा गया कि श्री सचान सिर्फ चृणमूल नेताओं से मिलेंगे, हॉकरों से नहीं. इसके बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गये. उन्होंने शिष्टमंडल भेजने से इंकार कर दिया. गेट के सामने मुख्य सड़क पर टायर जला कर हंगामा शुरू हो गया. आरपीएफ ने भी कार्यालय परिसर ममें मोर्चा संभाल लिया. स्थिति बिगड़ते देख पार्टी के वरीय नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को शांत कर प्रदर्शन समाप्त किया.
इसके बाद न्यू सिनेमा मोड़ स्थित तृणमूल कार्यालय में बैठक की गयी. बैठक में श्री दासू ने कहा कि श्रम मंत्री मलय घटक, विधायक सह निगम प्रशासक तापस बनर्जी से इस मुद्दे पर बात कर आगे की रणनीति तय की जायेगी.
उन्होंने कहा कि तृणमूल के शासन में किसी को बेरोजगार नहीं होने दिया जायेगा. हॉकरों के अधिकार के लिए जोरदार आंदोलन जजारी रहेगा. आवश्यकता पड़ी तो रेल का चक्का भी जाम किया जायेगा.
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