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अड्डा ने रोका, पर नगर निगम ने दे दी बहुमंजिली इमारत को मंजूरी!

अड्डा ने भवन के निर्माण प्लान से संबंधित जानकारी मांगी थी निगम से, नहीं मिली 2015 में अड्डा के अनुरोध को दरकिनार कर निगम ने निर्माण प्लान को दी मंजूरी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अड्डा के सीइओ ने आसनसोल नॉर्थ थाने में दो बार दी लिखित शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई आसनसोल : पश्चिम बंगाल […]

अड्डा ने भवन के निर्माण प्लान से संबंधित जानकारी मांगी थी निगम से, नहीं मिली

2015 में अड्डा के अनुरोध को दरकिनार कर निगम ने निर्माण प्लान को दी मंजूरी
प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अड्डा के सीइओ ने आसनसोल नॉर्थ थाने में दो बार दी लिखित शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई
आसनसोल : पश्चिम बंगाल म्यूनिसिपल बिल्डिंग रूल 2007 का उल्लंघन कर आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (अड्डा) की जमीन पर आसनसोल कन्यापुर सेटेलाइट टाउनशिप प्रोजेक्ट (केएसटीपी) इलाके में कथित तौर पर अवैध रूप से बनी बहुमंजिली इमारत के प्लान को आसनसोल नगर निगम (ननि) द्वारा मंजूरी देने से निगम प्रशासन विवादों में घिर गया है.
अड्डा प्रबंधन ऊक्त निर्माण कार्य को अवैध घोषित करते हुए चार जनवरी 2013 को जमीन का लीज डीड रद्द कर निर्माण कार्य को तोड़ने का नोटिस जारी किया था. नगर निगम के मेयर को इस नोटिस की प्रति भेजकर उक्त निर्माण कार्य के प्लान को मंजूरी नहीं देने को कहा गया.
निगम प्रशासन ने 20 अप्रैल 2015 को कथित अवैध निर्माण के प्लान को मंजूरी दे दी. अड्डा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीइओ) ने इस मुद्दे को लेकर आसनसोल नॉर्थ थाने में एक जून 2018 और 15 जनवरी 2019 को लिखित शिकायत कर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा. लेकिन अबतक इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्थानीय नागरिक कौशिक कुमार लाहिड़ी ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री से लेकर जिले के सभी वरीय अधिकारियों से शिकायत की, उनकी शिकायत आधिकरियों के फाइलों में उलझ कर रह गयी.
सनद रहे कि आसनसोल केएसटीपी के आवासीय इलाका सेक्टर एच में साढ़े चार कट्ठा जमीन, ले-आउट प्लॉट नंबर सीबी/14 को अड्डा ने कोलकाता मार्केट स्ट्रीट इलाके के निवासी मोहम्मद अनवर अली को 27 जुलाई 1993 में आवंटित किया था. 28 हजार रुपये प्रति कट्ठा की दर से जमीन की पूरी कीमत किस्तों में भुगतान करने के बाद 21 जनवरी 2002 को अड्डा ने जमीन का दखल श्री अली को दिया.
लीज डीड 7 मार्च 2002 को लागू हुआ. जमीन पर दखल लेने के पांच वर्ष बाद भी निर्माण कार्य आरम्भ नहीं होने पर अड्डा प्रबंधन ने 11 दिसम्बर 2008 को आवंटन जमीन रद्द करने के लिए श्री अली को कारण बताओ नोटिस भेजा.
श्री अली ने 16 दिसंबर 2008 को कारण बताओ नोटिस के जवाब में कहा कि वे बीमार हैं. उनके हृदय का ऑपरेशन हुआ है, उन्हें निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए कुछ मोहलत दी जाए. दोबारा उन्होंने मोहलत के लिए 27 फरवरी 2009 को अड्डा के सीइओ को चिट्ठी लिखी और कहा कि आसनसोल नगर निगम में बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के लिए कागजात दिया गया है. निर्माण कार्य 2011 के शुरू में आरंभ करने की संभावना जतायी.
18 जुलाई, 2012 को अड्डा के तत्कालीन सर्वेयर एसके दत्ता ने साइट विजिट के दौरान पाया कि उक्त जमीन पर जी+5 की बहुमंजिली इमारत खड़ी हो गयी है. नियमानुसार आवासीय क्षेत्र में बहुमंजिली इमारत के निर्माण की अनुमति नहीं होती है. श्री अली को इस निर्माण से संबंधित कागजात (निर्माण कार्य के लिए मंजूर किया गया प्लान, जमीन के कर की रसीद, लीज डीड का ऑरिजिनल आदि) लेकर 22 अगस्त 2012 को सुनवाई के लिए सहायक कार्यपालक अधिकारी (एइओ) के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस भेजा गया.
श्री अली उपस्थित न होकर तीन सितंबर 2012 को अड्डा से जमीन के दखल का प्रमाण पत्र और एनओसी की मांग की. निर्माण कार्य में नियमों का उल्लंघन करने को लेकर चार अक्तूबर को 2012 को फाइनल नोटिस भेजकर तीन दिनों में उपस्थित होने को कहा, नहीं आने पर कानून के दायरे में कार्रवाई की चेतावनी दी गयी.
इसके एवज में 17 अक्तूबर 2012 को उनके वकील मोहम्मद जमशेद ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि भवन का मॉडिफाइड प्लान मंजूरी के लिए निगम में जमा किया गया है. जिसकी मंजूरी लगभग हो चुकी है. निर्माण अवैध नहीं है. जबकि, अड्डा के लीज डीड के पैराग्राफ 2(4) और 2(5) के अनुसार जमीन पर निर्माण कार्य के पूर्व प्लान की मंजूरी लेना अनिवार्य है.
उक्त निर्माण से संबंधित जरूरी कागजात पेश न करने पर अड्डा ने राज्य सरकार की टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट 1979 के तहत निर्माण को रोकने और गिराने का नोटिस चार जनवरी 2013 को जारी कर दिया. इसी दिन एक और नोटिस जारी कर निर्माण कार्य में लीज डीड के शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में डीड को रद्द कर दिया गया.
नोटिस की प्रति आसनसोल नगर निगम के मेयर को भेजकर सूचित किया गया कि उक्त निर्माण कार्य के प्लान की मंजूरी न दी जाए. इसकी प्रति पुलिस आयुक्त को भेजकर निर्माण कार्य को रोकने और नियम के दायरे में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया. अड्डा के सीइओ ने 19 मार्च 2013 और 26 जून 2013 को नगर निगम के आयुक्त को पत्र लिखकर ऊक्त निर्माण के प्लान की मंजूरी से संबंधित जानकारी मांगी.
लेकिन उसका कोई जवाब अबतक नहीं मिला. इस बीच नगर निगम प्रशासन ने उक्त निर्माण के अल्टरनेशन प्लान को 20 अप्रैल 2015 को मंजूरी दे दी. जिसमें बेसमेंट (बी) + ग्राउंड फ्लोर (जी) + पांच के प्लान की मंजूरी दी गयी. अड्डा के सर्वे आधिकरियों ने भवन के फिजिकल जांच में पाया कि सरकारी नियम का उल्लंघन कर नगर निगम ने जिस प्लान की मंजूरी दी है, निर्माण कार्य में उसका भी उल्लंघन किया गया है. नियमों के उल्लंघन की पूरी रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेज दी गयी है. जिसकी जांच नए सिरे से पुनः आरंभ हुई है.

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