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” चंद्रायन-2 से संपर्क टूटा है , लेकिन उम्मीद नहीं “

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) का दीक्षांत समारोह आयोजित ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर दिया गया बल दुर्गापुर : महात्मा गांधी एवेन्यू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) के 15 वें दीक्षांत समारोह का आयोजन शनिवार को हुआ. 1153 छात्रों को विभिन्न डिग्री से सम्मानित किया गया. उद्घाटन पद्म भूषण […]

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) का दीक्षांत समारोह आयोजित

‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर दिया गया बल
दुर्गापुर : महात्मा गांधी एवेन्यू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) के 15 वें दीक्षांत समारोह का आयोजन शनिवार को हुआ. 1153 छात्रों को विभिन्न डिग्री से सम्मानित किया गया. उद्घाटन पद्म भूषण प्राप्त एवं इंडियन नेशनल साइंस अकाडमी (आईएनएसए) के वैज्ञानिक व पूर्व निदेशक डॉ विकास सिंन्हा एवं प्रो. इंद्रनील मन्ना ने किया.
डॉ सिंन्हा ने कहा कि चंद्रायन-2 के रोबेट विक्रम चांद पर अब पहुंच नहीं सका है, दो किलोमीटर के अंतराल पर यान से संपर्क टूट गया है, लेकिन उम्मीद अब भी बाकी है, यान के चांद के दो किलोमीटर तक नजदीक पहुंच जाने से भी काफी कुछ सूचना मिल सकती है। जैसे जल, मिनिरल, हिलियम गैस की जानकारी शामिल है. यान से संपर्क टूटा है, लेकिन उम्मीद नही, यान से संपर्क जल्द ही शुरू होने की संभावना है. वैज्ञानिक यान से संपर्क करने का लगातार प्रयास में जुटे हैं. उम्मीद है कि चंद्रयान चांद पर उतरेगा. यान चांद पर उतर नहीं भी पाया तो इसमें निराश होने की कोई जरूरत नहीं है, अक्सर लोग इस परिस्थिति में निराश होने लगते हैं.
लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रगति के लिए पिछले प्रदर्शन और रणनीति का विश्लेषण कर सकते हैं. विज्ञान को मन मे बैठाये और पोषित करें. सोसाइटी के नैतिक और भौतिक उत्थान के लिए इसका उपयोग करें. उन्होने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होने कहा कि स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को विशेष रूप से ट्रांजिट-एरिया की पर्यावरण, पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक मांगों के अनुसार अनुकूलित उत्पादों के विकास की दिशा में निर्देशित किया जाना चाहिए.
दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त 768 बी- टेक, 205 को एम- टेक, 28 को एमबीए, 33 को एमसीए, 30 को एमएससी , 10 को एमएसडब्ल्यू,79 को पीएचडी दी गई. एनआईटी का निदेशक अनुपम बसु मौजूद थे.

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