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हृदय रोग के साये में देश की युवा पीढ़ी

कोलकाता : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा एक चौंकानेवाला अध्ययन किया गया है. अध्ययन के अनुसार युवाओं में उच्च रक्तचाप, मोटापा और दिल संबंधी बीमारियों की दर तेजी से बढ़ रही है. खासतौर से महानगरों में रहनेवाले युवा इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं. अगर यही हाल […]

कोलकाता : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा एक चौंकानेवाला अध्ययन किया गया है. अध्ययन के अनुसार युवाओं में उच्च रक्तचाप, मोटापा और दिल संबंधी बीमारियों की दर तेजी से बढ़ रही है. खासतौर से महानगरों में रहनेवाले युवा इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं. अगर यही हाल रहा, तो आनेवालों कुछ वर्षों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज यानी हृदय जनिक बीमारियां महामारी बन जाये‍ंगी.
शोधकर्ताओं के अनुसार महानगरों में रहनेवाले युवाओं की गतिहीन जीवनशैली, वसायुक्त भोजन और शराब का बढ़ता सेवन इसके लिए जिम्मेवार है, जिसकी वजह से युवाओं में मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं. शोध दर्शाते हैं कि ऐसे मामलों में महानगरीय युवाओं की हालत चिंताजनक है. तेज रफ्तार जिंदगी में आगे बढ़ने की होड़, खान-पान में फास्ट फूड की बहुतायत, धूम्रपान और शराब की लत युवाओं में दिल संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं.
क्या कहती है डब्ल्यूएसओ व एम्स की संयुक्त रिपोर्ट
महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक का खतरा उभरता है, क्योंकि ओवरीज से निकलने वाले इस्ट्रोजन हार्मोन्स के कारण हृदय की धमनियां दुरुस्त रहती हैं, इसलिए महिलाओं को 50 साल की उम्र के बाद अधिक खतरा रहता है. इसलिए 50 की आयु बाद नियमित चेकअप करवाना जरूरी है.
इन्हें है अधिक खतरा :
ऐसे युवाओं में जिनके माता-पिता को दिल की समस्या रही हो, उनमें यह समस्या छोटी उम्र में ही देखी जा सकती है. यानी यदि 30 साल की उम्र के बाद मेडिकल तौर पर इसकी आशंका जतायी गयी है तो ऐसे युवाओं को 20 साल की उम्र में भी यह समस्या हो सकती है. कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर व डायबिटीज जैसी समस्याएं यदि किसी एक व्यक्ति को है, तो वह हाइ रिस्क जोन में आता है. गुड कोलेस्ट्रॉल का 50 से कम होना और बैड कोलेस्ट्रॉल का 100 से अधिक होना खतरनाक है. ऐसे लोग जो ज्यादा सिगरेट पीते हैं, तो सावधान रहें. सिगरेट में निकोटिन की वजह से हृदय की गति तेज, रक्तचाप बढ़ जाता है. जिससे रक्त का संचार ठीक से नहीं हो पाता. ब्लड प्रेशर : 130/85 से ज्यादा होना ठीक नहीं.
क्या कहते हैं डॉक्टर :
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पीएस बनर्जी के अनुसार युवा पीढ़ी तेजी से इस बीमारी के चंगुल में फंसती जा रही है. जागरूकता का अभाव भी एक बड़ा कारण है. दिल का दौरा पड़ने से पहले हृदय हमें संकेत देता है. लेकिन हम सीने व कमर की दर्द रूपी संकेत को गैस की समस्या समझ नजरअंदाज कर जाते हैं और खुद अपना इलाज शुरू कर देते हैं. जिसका खामियाजा कई बार जान देकर चुकाना पड़ता है, क्योंकि सीने व कमर का दर्द हृदयाघात का प्रमुख लक्षण है.
अध्ययनों और शोधों में यह पता चला है कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में 2-3 प्रतिशत ज्यादा लोग हृदय रोगों से पीड़ित हैं. पहले जहां 30 से 40 वर्ष की आयु के बीच हृदय रोग की संभावना आंकी जाती थी, आज यह समस्या घट कर 20 वर्ष और उससे भी कम उम्र के लोगों में पायी जाने लगी है. जो हृदय संबंधी समस्याएं अमेरिका में लोगों को 40-50 साल की उम्र में होती हैं, वे यहां के लोगों में 10 साल पहले शुरू हो जाती हैं. देश में 40 वर्ष से कम आयुवर्ग में हृदय रोग की समस्या तेजी से बढ़ रही है. यह दर 20 साल के युवाओं की ओर तेजी से बढ़ती दिखायी दे रही हैं.

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