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जान जोखिम में डालकर जर्जर सेतु से आवागमन करते हैं ग्रामीण

आवेदन के बावजूद प्रशासन पर कोई कदम नहीं उठाने का लगाया आरोप दिल पर हाथ रख यात्रियों से भरी बस लेकर गुजरते हैं चालक पानागढ़ : पूर्व बर्दवान जिले के बुदबुद थाना अंतर्गत लोहाकृष्ण रामपुर पंचायत अधीन 20 से 25 गांव के लोग जान हथेली पर रखकर इलाके में कैनल पर बनी जर्जर सेतु से […]

आवेदन के बावजूद प्रशासन पर कोई कदम नहीं उठाने का लगाया आरोप
दिल पर हाथ रख यात्रियों से भरी बस लेकर गुजरते हैं चालक
पानागढ़ : पूर्व बर्दवान जिले के बुदबुद थाना अंतर्गत लोहाकृष्ण रामपुर पंचायत अधीन 20 से 25 गांव के लोग जान हथेली पर रखकर इलाके में कैनल पर बनी जर्जर सेतु से आवाजाही करते हैं. सेतु से रोजाना ही सैकड़ों सरकारी कर्मचारी, छात्रा-छात्राएं भी आवागमन करते हैं.
इससे गुजरते वक्त वे भयभीत रहते हैं. यात्री बसों का भी आवागमन हमेशा होता है. चालक दिल पर हाथ रखकर सेतु से गुजरते हैं. बार-बार प्रशासन से आग्रह करने के बाद भी इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हो रहा है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण तपन घोष का आरोप है कि प्रशासन से इस बाबत कई बार सेतु की मरम्मत अथवा नये सेतु निर्माण के िलये आवेदन किया गया. लेकिन इस दिशा में प्रशासन की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
नयनतारा बटवेल कॉलेज की एक छात्रा ने बताया कि रोजाना हमलोगों को जान जोखिम में डालकर सेतु से बुदबुद, पानागढ़ ,बर्दवान आदि शहरों में आना-जाना पड़ता है. विद्यालय जाने के लिए भी छात्र-छात्राओं को सेतु से होकर ही जाना पड़ता है. भय और आतंक के बीच प्रतिदिन जान जोखिम में डालकर सेतु से पार होते हैं. सेतु की अवस्था जर्जर हो चुकी है. साइड वाल टूट कर नदी में जा गिरा हैं. इसके बीचों-बीच कई जगह गड्ढे बन गये हैं. हर वक्त डर लगा रहता है.
बस चालक शेख जिद्दीया ने बताया िक लोगों को पैदल चलने में भय लग रहा है. ऐसे में सैकड़ों यात्रियों को बस में बैठाकर सेतु से पार होने पर खतरा बना रहता है. जान जोखिम में डालकर मजबूरन सेतु से वाहनों को पार करना पड़ता है. आवेदन को संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया गया है. लेकिन अब तक अधिकारियों या प्रशासन की ओर से कोई सुगबुगाहट नहीं मिल रही है.
बार-बार अल्टीमेटम दिया जा रहा है. यदि अविलंब कार्रवाई नहीं होगी तो आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा. प्रशासन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है. नये सेतु का निर्माण किया जा रहा है और न ही टूटे जर्जर सेतु की मरम्मत ही की जा रही है.

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