कोलकाता: सामूहिक दुष्कर्म कांड की शिकार आदिवासी युवती के गांव लौटने का ग्रामीणों द्वारा विरोध किये जाने के बाद राज्य सरकार द्वारा उसे उसके गांव के ही नजदीक एक मकान और मनरेगा के तहत काम उपलब्ध कराया जायेगा.
राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री शशि पांजा ने शनिवार को बताया कि चूंकि गांव के लोग लड़की की वापसी का विरोध कर रहे थे, इसलिए इंदिरा आवास योजना के तहत उसके गांव के पास की ही एक बस्ती में उसके लिए मकान बनाया जा रहा है और पुलिस सुरक्षा भी मुहैया करा दी गयी है.
काम करने को पीड़िता सहमत
गौरतलब है कि गत 21 जनवरी को 20 वर्षीय इस युवती के साथ समुदाय के प्रमुख सहित 13 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था. मंत्री शशि पांजा ने कहा कि उन्होंने पीड़िता से बात की है. पूर्व में वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया करती थी और राज्य सरकार ने उसे नौकरी मुहैया कराने के बारे में सोचा. चूंकि शिक्षा के मापदंड मेल नहीं खाते थे, इसलिए वह मनरेगा योजना के तहत काम करने पर सहमत हो गयी. 20 वर्षीय इस युवती के साथ 21 जनवरी को समुदाय के प्रमुख सहित 13 लोगों ने दुष्कम्र किया था.
उसे कल अस्पताल से छुट्टी मिल गयी और उसे सरकार संचालित आश्रय गृह भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि वह निरंतर पीड़िता के संपर्क में हैं, ताकि उसे सभी तरह की मदद उपलब्ध करायी जा सके. युवती 30 जनवरी को आइआरपीसी की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए उपमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट पीयूष घोष के समक्ष पेश हुई थी. समुदाय के प्रमुख बालई मुर्डी सहित 13 आरोपी 23 जनवरी से 13 दिन की पुलिस हिरासत में हैं.