11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मेडिकल कॉलेज: करोड़ों का ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर बंद, ब्लड बैंक पर मंडराया संकट

सिलीगुड़ी. राज्य में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव के जिला अस्पताल तथा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के बार-बार के दौरे का भी स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. इन अस्पतालों में चिकित्सा […]

सिलीगुड़ी. राज्य में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव के जिला अस्पताल तथा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के बार-बार के दौरे का भी स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है.

इन अस्पतालों में चिकित्सा सेवा की बदहाली जारी है. ताजा मामला उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल के ब्लड बैंक में लगा ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर पिछले कई महीनों से लगभग बंदी के कगार पर है. बीच-बीच में ही इस सेपरेटर को चलाया जाता है. अधिकांश समय इसके बंद रहने के कारण रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मशीन को करीब चार करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल कॉलेज में लगवाया गया था. जिस किसी मरीज को रक्त की जरूरत हो, उसके लिए यह मशीन अत्यंत उपयोगी है. इस संबंध में वेस्ट बंगाल वोलंटियरी ब्लड डोनर फोरम के अध्यक्ष तथा समाजसेवी सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि आम तौर पर किसी भी मरीज को पूरे रक्त की जरूरत नहीं होती. किसी मरीज को रेड सेल तो किसी को प्लाजमा रक्त की जरूरत होती है. इसके अलावा कुछ मरीजों को प्लेटलेट चढ़ाने की भी जरूरत पड़ती है. ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर का मुख्य काम रक्त को तीन अलग-अलग भागों में बांट देना है.

इस मशीन की सहायता से अगर किसी मरीज को रेडसेल की जरूरत होती है, तो उसे रेडसेल ही दिया जाता है. एक यूनिट रक्त तीन रोगियों के काम आ सकता है. लेकिन इस मशीन के बंद होने के कारण रोगियों को पूरे रक्त दिये जा रहे हैं. इधर, सूत्रों ने बताया है कि कर्मचारियों की कमी के कारण न केवल ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर, बल्कि पूरे ब्लड बैंक के अस्तित्व को ही संकट पैदा हो गया है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ब्लड बैंक बेहद जरूरी सेवाओ में शुमार है. 24 घंटे सातों दिन ब्लड बैंक को खोले जाने का प्रावधान है.जबकि इन दिनों इस ब्लड बैंक में कर्मचारियों की भारी कमी है.

पहले यहां कुल 17 टेक्निशियन कार्यरत थे. राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से होम पोस्टिंग के तहत अब तक 10 लोगों का यहां से अन्यत्र तबादला कर दिया गया है. वर्तमान में 17 की जगह मात्र 7 टेक्निशियन ही ब्लड बैंक में काम कर रहे हैं. इनमें से भी एक टेक्निशियन का तबादला हो गया है और उसके कभी भी यहां से चले जाने की संभावना है. इस संबंध में श्री चटर्जी का कहना है कि ब्लड बैंक से अब तक जिन कर्मचारियों का तबादला हुआ है, वह सभी राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कर्मचारी संगठन यूनियन के सदस्य हैं. होम पोस्टिंग के नाम पर इन लोगों का तबादला कर दिया गया है.

राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित किये बगैर ही इन लोगों का तबादला कर दिया. उन्होंने कहा कि ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर के बंद होने के कारण कैंसर, डेंगू आदि बीमारी से पीड़ित मरीजों को काफी परेशानी होगी. इसके अलावा आग से जले मरीज को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में रक्त संग्रह के साथ-साथ कई तरह के काम करने पड़ते हैं. इनमें रक्त के नमूने की जांच के साथ-साथ लेबल लगाना, वितरण करना आदि का काम शामिल है. मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में ऐसे भी हर हमेशा रोगियों की मारा-मारी लगी रहती है. इतने कम स्टाफ की बदौलत ब्लड का काम सुचारू रूप से चला पाना संभव नहीं है.

क्या कहते हैं प्रभारी
इधर, इस संबंध में जब ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ मृदुमय दास से बातचीत की गयी तो उन्होंने ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर के पूरी तरह से बंद होने से इनकार किया है. हालांकि उन्होंने माना है कि टेक्निशियनों की कमी के कारण कभी-कभी ही इस सेपरेटर को चलाया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि इस सेपरेटर को चलाने के लिए अभी हमारे पास मात्र तीन टेक्निशियन है. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की जानकारी दे दी है. उन्होंने शीघ्र ही टेक्निशियनों की कमी दूर हो जाने की बात भी कही.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें