इन अस्पतालों में चिकित्सा सेवा की बदहाली जारी है. ताजा मामला उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल के ब्लड बैंक में लगा ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर पिछले कई महीनों से लगभग बंदी के कगार पर है. बीच-बीच में ही इस सेपरेटर को चलाया जाता है. अधिकांश समय इसके बंद रहने के कारण रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मशीन को करीब चार करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल कॉलेज में लगवाया गया था. जिस किसी मरीज को रक्त की जरूरत हो, उसके लिए यह मशीन अत्यंत उपयोगी है. इस संबंध में वेस्ट बंगाल वोलंटियरी ब्लड डोनर फोरम के अध्यक्ष तथा समाजसेवी सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि आम तौर पर किसी भी मरीज को पूरे रक्त की जरूरत नहीं होती. किसी मरीज को रेड सेल तो किसी को प्लाजमा रक्त की जरूरत होती है. इसके अलावा कुछ मरीजों को प्लेटलेट चढ़ाने की भी जरूरत पड़ती है. ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर का मुख्य काम रक्त को तीन अलग-अलग भागों में बांट देना है.
पहले यहां कुल 17 टेक्निशियन कार्यरत थे. राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से होम पोस्टिंग के तहत अब तक 10 लोगों का यहां से अन्यत्र तबादला कर दिया गया है. वर्तमान में 17 की जगह मात्र 7 टेक्निशियन ही ब्लड बैंक में काम कर रहे हैं. इनमें से भी एक टेक्निशियन का तबादला हो गया है और उसके कभी भी यहां से चले जाने की संभावना है. इस संबंध में श्री चटर्जी का कहना है कि ब्लड बैंक से अब तक जिन कर्मचारियों का तबादला हुआ है, वह सभी राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कर्मचारी संगठन यूनियन के सदस्य हैं. होम पोस्टिंग के नाम पर इन लोगों का तबादला कर दिया गया है.
राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित किये बगैर ही इन लोगों का तबादला कर दिया. उन्होंने कहा कि ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर के बंद होने के कारण कैंसर, डेंगू आदि बीमारी से पीड़ित मरीजों को काफी परेशानी होगी. इसके अलावा आग से जले मरीज को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में रक्त संग्रह के साथ-साथ कई तरह के काम करने पड़ते हैं. इनमें रक्त के नमूने की जांच के साथ-साथ लेबल लगाना, वितरण करना आदि का काम शामिल है. मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में ऐसे भी हर हमेशा रोगियों की मारा-मारी लगी रहती है. इतने कम स्टाफ की बदौलत ब्लड का काम सुचारू रूप से चला पाना संभव नहीं है.