कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सक्रिय आतंकवादी संगठन के सदस्यों और नेताओं को प्रदेश के नेताओं का संरक्षण तो मिलता ही है, बांग्लादेश के राजनीतिक दल भी उनकी मदद करते हैं. इसी का लाभ उठा कर आतंकवादी संगठन दोनों देशों को अस्थिर करने की साजिशें रचते हैं.
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद हसन इमाम पर आरोप लगे हैं कि उनके तार बांग्लादेश की कट्टरपंथी ताकतों से जुड़े हैं. प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इसलामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे इमाम के बारे में कहा जाता है कि उनके संबंध बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में नरसंहार के लिए युद्ध अपराध प्राधिकरण द्वारा दोषी करार दिये गये बांग्लादेश के कट्टरपंथी नेता मोति उर रहमान निजामी, जमात ए इसलामी के उपाध्यक्ष और युद्ध अपराध मामले में मौत की सजा पाने चुके देवतार हुसैन सईदी और इसी संगठन के सहयोगी मीर कासिम अली से उनके संबंध हैं.
आरोप यह भी है कि चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को इस कट्टरपंथी संगठन ने धन मुहैया कराया. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. राजनीतिक दलों की शह न मिले, तो आतंकी इलाके में टिक नहीं सकते. वे न नकली नोटों का जाल फैला सकेंगे, न मवेशियों की तस्करी भी कर पायेंगे.
लेकिन, सीमावर्ती इलाकों में यह सब हो रहा है. बड़ी आसानी से. बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिले में नकली नोटों का मिलना आम है. मालदा के कालियाचक को तो नकली नोटों की तस्करी का हब बन गया है. ये नोट पाकिस्तान में छपते हैं और आइएसआइ एजेंटों के जरिये बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजे जाते हैं. चूंकि बांग्लादेश ने आतंकवादियों के खिलाफ सख्त रवैया अपना रखा है, पश्चिम बंगाल में ठिकाना बना कर ये संगठन बांग्लादेश को भी अस्थिर करने की भी साजिशें रचते हैं. चूंकि आतंकियों को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के नेताओं का संरक्षण मिलता है, उन्हें साजिशों को अंजाम देने में कोई परेशानी नहीं होती.
जाली नोटों का जाल
पाकिस्तान में छपे नकली नोट बांग्लादेश के रास्ते भेजे जाते हैं भारत
नकली नोटों के जरिये भारत की अर्थव्यवस्था पर चोट की रणनीति
मुर्शिदाबाद और मालदा जिले बन चुके हैं नकली नोटों के हब