कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल की विपक्षी पार्टी के समर्थकों और महिलाओं को लेकर की गयी एक कथित टिप्पणी को लेकर गुरुवार को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की सीआइडी जांच करने के आदेश दिये.
तापस पाल ने नदिया जिले के कृष्णानगर में एक आम सभा के दौरान विपक्षी पार्टी के समर्थकों और महिलाओं के खिलाफ अपनी कथित टिप्पणी में ‘गोली मारने और दुष्कर्म करने’ की धमकी दी थी.
इस मामले में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा विभाजित (स्प्लिट) आदेश दिये जाने के बाद मुख्य न्यायमूर्ति ने यह मामला न्यायमूर्ति निशिथा म्हात्रे के पास भेज दिया था. न्यायमूर्ति म्हात्रे ने एकल पीठ की उस व्यवस्था को बरकरार रखा जिसमें पाल की विवादित टिप्पणी को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज करने और सीआइडी जांच करने का आदेश दिया गया था. इकोर्ट के न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने पहले ही डीआइजी सीआइडी स्तर के अधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया था. लेकिन विवादों के कारण उन्होंने ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया. इसके बाद मामले की सुनवाई निशिथा म्हात्रे की बेंच में हुई. हालांकि इस संबंध में सरकारी वकील ने कहा था कि उन्हें सीआइडी जांच में आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने जिला स्तर के सीआइडी अधिकारी से जांच कराने की मांग की थी. तापस पाल के वकील किशोर दत्त ने दावा किया था कि यह मामला अदालत में ग्रहणयोग्य नहीं है.
मामला करने वाले यह नहीं जानते कि तापस पाल का उक्त वक्तव्य कब का है. यह चुनाव पूर्व का था. इस पर अदालत का कहना था कि भले ही यह चुनाव पूर्व भाषण था लेकिन उन जैसा सम्मानित व्यक्ति यह कैसे कह सकता है. उन्हें संयत रहना चाहिए था. गौरतलब है कि एक जुलाई को शिकायत दर्ज करायी गयी. 15 जुलाई को मामला हुआ. 23 जुलाई को सुनवाई शुरू हुई और 28 जुलाई को सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाया था.
तृणमूल सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है. अदालत लगातार इस सरकार पर प्रहार कर रही है. सरकार तापस मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रही थी, पर अदालत ने सच्चई सामने ला दी है.
अधीर चौधरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
हाइकोर्ट का भी विश्वास राज्य सरकार से कम हो रहा है. तापस पाल कांड हो या पारूई कांड दोनों में हाइकोर्ट के घेरे में राज्य सरकार आ गयी है. राज्य सरकार दोनों कांड में कटघरे में है. राज्य सरकार अपराधियों को बचाने में लगी है.
राहुल सिन्हा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष