नयी दिल्ली/कोलकाता: केंद्र सरकार देश के मोबाइल उपभोक्ताओं को दी गयी नंबर पोर्टेबिलिटी की तर्ज पर टेलीविजन उपभोक्ताओं को भी सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) बदले बगैर डीटीएच ऑपरेटर बदलने की सुविधा देने पर विचार कर रही है. यदि सरकार ऐसा करती है तो उपभोक्ता घटिया सेवा देने वाले डीटीएच ऑपरेटर से बगैर किसी झंझट के छुटकारा पा सकेंगे. सरकार ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से इस संबंध में सुझाव मांगे हैं.
सरकार ने ट्राई को यह बताने को कहा है कि एसटीबी बदले बगैर डीटीएच ऑपरेटर को कैसे बदला जा सकता है. इंटर ऑपरेटेबिलिटी की सुविधा मिलने से ग्राहक को डीटीएच सेवा देनेवाली कंपनी बदलने की सुविधा मिल सकेगी. सरकार के निर्देश पर ट्राई ने नयी डीटीएच लाइसेंस प्रणाली का खाका तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि मौजूदा व्यवस्था में बिना सेट टॉप बॉक्स बदले डीटीएच ऑपरेटर बदलने की सुविधा देना संभव नहीं है, क्योंकि ऑपरेटर अलग-अलग तरह की तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. इस संबंध में भारतीय मानक संस्थान (बीआइएस) को एसटीबी टेक्नोलॉजी के लिए नये मानक निर्धारित करने का निर्देश दिया गया है. डीटीएच की मौजूदा लाइसेंस व्यवस्था में भी बिना सेट टॉप बॉक्स बदले ऑपरेटर बदलने की व्यवस्था है, लेकिन देश के डीटीएच ऑपेरटरों ने इसका पालन नहीं किया. देश में डीटीएच सेवाएं देनेवाली प्रमुख कंपनियों ने ऑपरेटर बदलने की सुविधा देने से इनकार किया है. कंपनियों का कहना है कि यह व्यावसायिक रूप से भी लाभप्रद नहीं है. हालांकि विश्व के कई देशों में ऑपरेटर बदलने की सुविधा मौजूद है. उपभोक्ताओं ने केंद्र की इस पहल का स्वागत किया है.
अभिरूप बनर्जी नामक एक उभपोक्ता ने कहा कि डीटीएच कंपनियां हमेशा मनमानी करती हैं. वह ग्राहकों को बताये बगैर जब-तब फीस में वृद्धि कर देती हैं. पैकेज के अक्सर चैनल को पे चैनल बता कर उसे ऑफ कर देते हैं. अधिक पैसे देने पर ही ग्राहक भविष्य में उस चैनल को दोबारा देख सकता है. मालिनी सरकार नामक एक गृहिणी ने कहा कि डीटीएच कंपनियां ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती हैं. वह अचानक फीस बढ़ा देती हैं और अपने फैसले ग्राहकों के सर पर थोपती हैं. केंद्र के इस कदम से करोड़ों लोगों को फायदा पहुंचेगा.