कोलकाता. एक रिक्शावाला कोलकाता से लद्दाख के खारदुंग ला दर्रा तक की 3000 किलोमीटर लंबी साहसपूर्ण यात्र पर निकला है. खारदुंग ला दर्रा दुनिया की सबसे उंची सड़क है, जहां मोटरवाहन चल सकते हैं.
दक्षिण कोलकाता के नाकतला में यात्रियों को रिक्शे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाले 40 वर्षीय सत्येन दास ने इस सफर के लिए अपनी निजी बचत और स्थानीय लोगों से मिले चंदे से रकम जुटाया है.
उन्होंने अपना सामान अपने सजे हुए रिक्शे की यात्री सीट के नीचे रखा और अपनी ही तरह की एक अलग यात्र की शुरुआत पिछले महीने की थी. सत्येन दास ने बताया कि मैं रिक्शा से अपनी आजीविका कमाता हूं और पूरा दिन इसी के साथ बिताता हूं, इसलिए जब मैंने लद्दाख की यात्र का सपना देखना शुरु किया तो मैं रिक्शे को पीछे नहीं छोड़ सकता था. सत्येन उत्तरप्रदेश तक पहुंच चुके हैं और यहां से अब वह श्रीनगर जायेंगे. अगले महीने करगिल पार करके वह लद्दाख पहुंच जायेंगे. उन्होंने कहा कि मैं इस यात्र के जरिए विश्वशांति का संदेश फैलाना चाहता हूं. इसके साथ ही मैं रिक्शे का प्रचार एक सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल यातायात के साधन के रुप में करना चाहता हूं.
पांच महीने में इस खोज यात्र को पूरा करने की उम्मीद लेकर सत्येन की नजर अपने काम के जरिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने पर भी है. यात्र के शौकीन सत्येन दास रिक्शा के द्वारा ही वर्ष 2008 में हिमाचल प्रदेश स्थित रोहतांग पास तक का सफर कर चुके हैं. इस यात्र में उनके साथ उनकी पत्नी और बेटी भी थी. लेकिन इस बार इनका लक्ष्य अत्यधिक उंचाई पर है इसलिए वे अकेले ही यात्र कर रहे हैं. 17582 फुट की उंचाई पर स्थित खारदुंग ला दर्रा में हिमालय के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं. इस साहसपूर्ण यात्र की सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ों का उबड़खाबड़ क्षेत्र होगा, जहां सत्येन को रिक्शा लगभग खींचते हुए चलना है. सत्येन दास को फंड उपलब्ध कराने वाले नाकतला अग्रणी क्लब के सचिव पार्थो दे ने कहा कि उन्हें हिमालय की यात्रा करने और दूर-दूर की जगहों पर जाने की आदत है. खारदुंग ला तक रिक्शे से जाना बिल्कुल अविश्वसनीय होगा.