कोलकाता: सारधा मामले को सुलझाने के लिए दो केंद्रीय एजेंसियों ने सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को सांझा करने का फैसला किया है. हालांकि दोनों संस्थाएं इन मामलों की स्वतंत्र रूप से जांच करेंगी, लेकिन साथ ही जांच के दौरान दोनों एक-दूसरे का सहयोग करेंगी.
इस संबंध में ईडी के विशेष क्षेत्रीय निदेशक योगेश गुप्ता ने बताया कि इस मुद्दे पर संयुक्त निदेशक राजीव सिंह से बातचीत हुई है. मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करते हुए सीबीआइ और ईडी एक- दूसरे से समन्वय करेंगे. उन्होंने कहा कि दोनों एजेंसियों ने मिल कर निर्णय किया गया है कि दोनों एक-दूसरे से महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा करेंगे, हालांकि ईडी और सीबीआइ दो अलग-अलग कानूनों के तहत घोटाले की जांच कर रहे हैं.
ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू की थी, जबकि सीबीआइ मामले की जांच भारतीय दंड संविधान के तहत करेगी. गुप्ता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए ईडी आगे के चरण में पहुंच चुकी है. अगले दो महीने में आरोप पत्र दायर करने की उम्मीद करते हैं. गौरतलब है कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद मतंग सिंह से पूछताछ की. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईडी अधिकारियों ने दिल्ली में सिंह से पूछताछ की और उनका बयान धनशोधन रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया. ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि श्री सिंह ने हमारे साथ पूरा सहयोग किया और सारधा चिटफंड घोटाला मामले में धनशोधन की जांच के बाबत कई सवालों के जवाब दिये. श्री सिंह न इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जांच अधिकारियों के साथ सहयोग किया, क्योंकि ऐसा करना उनका कर्त्तव्य था. उन्होंने कहा कि उन्होने कुछ भी गलत नहीं किया है.
उनके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है. उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि उन्हें इस मामले में जितनी भी राशि का भुगतान करना होगा, वह करेंगे. सूत्रों ने बताया कि पूछताछ एक घंटे से ज्यादा समय तक चली और सिंह ने सारदा ग्रुप के साथ हुए अपने वित्तीय लेन-देन से जुड़े ब्योरे भी दिये. ईडी ने अभी तक करीब 100 लोगों से पूछताछ की है, जिनमें सारधा ग्रुप के प्रोमोटर सुदीप्त सेन, उनकी दूसरी पत्नी पियाली सेन और पुत्र शुभोजित शामिल हैं.