कोलकाता: लोकसभा चुनाव में राज्य में तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन तो शानदार रहा लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर से बंगाल भी अछूता नहीं रहा. तृणमूल कांग्रेस को 42 में से 34 सीटें मिली हैं. वाम दल ने अपने गढ़ में सिर्फ दो सीटें हासिल कर अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया है, जबकि राज्य में कमल भी खिला यानी भाजपा को दो सीटें मिलीं. विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से विश्लेषण किया जाये तो भाजपा ने कई सीटों पर सेंध लगायी है, यानी दो सीटें जीत कर अपनी पैठ मजबूत की है. इसके वोट प्रतिशत में तीन गुना वृद्धि हुई है.
देश के बाकी हिस्सों की तरह इस राज्य में भी कांग्रेस का प्रदर्शन लचर रहा. पार्टी 2009 में जीती गयी छह सीटों में सिर्फ चार ही बचा पायी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में पार्टी के प्रदर्शन को संतोषजनक बताया पर राज्य में कांग्रेस का वोट प्रतिशत पिछले आम चुनाव के 13.45 प्रतिशत की तुलना में घटकर 9.6 प्रतिशत हो गया. 2009 में सिर्फ 6.15 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली भाजपा ने इस बार मोदी लहर के साथ 17.6 प्रतिशत वोट हासिल किया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी लहर के चलते राज्य की राजनीतिक समीकरण बदल गयी. सबसे बड़ी हार वाम दल को मिली, जिसे 2009 की 15 सीटों की तुलना में सिर्फ दो सीटें मिलीं. माकपा सिर्फ रायगंज और मुर्शिदाबाद सीट ही बचा पायी, जबकि भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी खाता भी नहीं खोल पायी. तृणमूल कांग्रेस को 2009 के 31.18 वोट प्रतिशत की तुलना में 39.40 प्रतिशत वोट मिला, जबकि वाममोरचा का वोट प्रतिशत 43.66 से घटकर 29 प्रतिशत हो गया.
भाकपा नेता मोइनुल हसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि अल्पसंख्यक वोट पूर्ण रूप से तृणमूल को मिला और भाजपा ने तृणमूल विरोधी वामपंथी वोट हड़प लिया.
राजनीतिक विश्लेषक उद्यान बंद्योपाध्याय ने कहा कि यह चुनाव ‘यस मोदी या नो मोदी’ का था. ममता बनर्जी को ‘नो मोदी’ वोट का बड़ा हिस्सा मिला. हालांकि उत्तर बंगाल में ये चीजें कांग्रेस के पक्ष में गयीं. उन्होंने कहा कि ममता विरोधी वाम समर्थकों के एक धड़े ने भाजपा के पक्ष में वोट डाला, जिन्हें लगा कि मोदी ही सिर्फ बंगाल में ममता को रोक सकते हैं क्योंकि पिछले तीन साल से वाम दल का आधार कमजोर हो रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने दक्षिण बंगाल की 31 सीटों में 30 पर जीत हासिल की और उत्तर बंगाल में चार सीटों पर जीत दर्ज की.
इस बार भाजपा को आसनसोल सीट मिली, जबकि यह कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर और मालदा दक्षिण सीट पर दूसरे स्थान पर रही. महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलकाता दक्षिण सीट के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उसने अच्छा प्रदर्शन किया है. इस लोकसभा सीट का नेतृत्व ममता बनर्जी कर चुकी हैं. भाजपा ने गोरखा जनमुक्ति मोरचा के साथ गंठजोड़ के जरिये दार्जिलिंग सीट भी बचा ली. भाजपा के वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि राज्य में 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच का मुकाबला होगा. पार्टी नेतृत्व में संभावित बदलाव के बारे में पूछे जाने पर माकपा नेता मैनुल हसन ने कहा कि हमारी पार्टी का सामूहिक नेतृत्व में यकीन है और हां हम अपने नतीजांे की समीक्षा करेंगे तथा कुछ बदलाव होंगे.