लखनऊ. प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया छठी बार चुनाव मैदान में हैं. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में राजा भैया जैसे और भी कई बाहुबली चुनाव लड़ रहे हैं. करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों ने बाहुबलियों या उनके रिश्तेदारों को टिकट दिया है. यह बात दीगर है कि हर बार चुनाव के वक्त बाहुबलियों से विधानसभा को मुक्त कराने के नारे राजनीतिक हलकों में लगते हैं और हर बार करीब-करीब सभी पार्टिंयां किसी-न-किसी बाहुबली या उसके रिश्तेदारों को टिकट देती रही हैं. वैसे राजा भैया जैसे बाहुबली नेता भी यहां हैं, जो अपने बल पर चुनाव जीतते रहे हैं.
राजा भैया जब पहली बार बतौर निर्दलीय चुनाव जीते थे, तब भाजपा सहित सभी दलों ने उन्हें कुंडा के गुंडा के तौर पर खूब प्रचारित किया था. जब वे दुबारा चुनाव मैदान में उतरे, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह उनके खिलाफ प्रचार के लिए कुंडा पहुंचे थे. कल्याण सिंह का नारा था, ‘गुंडा विहीन कुंडा करौं, ध्वज उठाय दोउ हाथ’, मगर राजा भैया चुनाव तो जीते ही, कल्याण सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया.
राजा भैया 1993 से अब तक पांच बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं और इस बार दोहरा हैट्रिक बनाने की तैयारी में हैं. राजा भैया कल्याण सिंह के अलावा राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव की भी सरकार में मंत्री बने. राजा भैया का असली नाम रघुराज प्रताप सिंह है, मगर लोग उन्हें राजा भैया के नाम से जानते हैं.
राजा भैया पर अपराध के कई संगीन आरोप रहे हैं. उन पर तालाब में घड़ियाल पालने, अपने दुश्मनों को मारकर उसमें डाल देने, डीएसपी की हत्या कराने और दंगाइयाें की मदद करने जैसे कई आरोप लगे. मायावती सरकार ने उन्हें पोटा कानून के तहत जेल भेजा था. हालांकि तब इसे बदले की कार्रवाई करार दिया गया था. 2012 में जब राज्य की सरकार बदली और सपा सत्ता में आयी, तब वे अखिलेश मंत्रिमंडल में फिर मंत्री बने, मगर अपने ही विधानसभा क्षेत्र कुंडा में एक डीएसपी जियाउल हक की हत्या में नाम आने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. सीबीआई ने मामले की जांच की थी और राजा भैया को उसने क्लिनचिट दे दी. इसके बाद वे फिर से मंत्री बना लिये गये.
राजा भैया के बारे में यह कहा जाता था कि वे बेंती की अपनी पुश्तैनी कोठी के पीछे तालाब में घड़ियाल पाला करते थे. यह तालाब 600 एकड़ में है. वे अपने विरोधियों इन घड़ियालोंं निवाला बना देने थे. हालांकि यह बात कभी साबित नहीं हो सकी. 2003 में मायावती सरकार ने उनके पिता के महल और उनकी कोठी पर छापा मरवाया था. बेंती के तालाब की खुदाई करायी गयी थी, जिसमें एक नरकंकाल मिला था. यह नरकंकाल कुंडा क्षेत्र के नरसिंहगढ़ गांव के संतोष मिश्र बताया गया था. कहा गया था कि संतोष के स्कूटर ने राजा भैया की जीप से टकर मारी थी. इस कारण उसे इतना मारा गया कि वह मर गया. उसकी लाश को इसी तालाब के पास दफना दिया गया. हालांकि गरीब तबके के लोग उन्हें अपना मशीहा मानते हैं.
इन तमाम किस्से-कहानियाें से इतर वे 1993 से 2012 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में कुंडा से विधायक चुने जाते रहे हैं. अगर इस बार भी चुनाव जीतते हैं, तो दोहरा हैट्रिक बनायेंगे.