लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज पत्र लिखकर प्रदेश के सूखाग्रस्त जिलों के निवासियों के लिए कम से कम छह माह तक खाद्यान्न उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी गुजारिश की है कि खाद्य तेल उपलब्ध कराना संभव ना होने की स्थिति में विकल्प के तौर पर हर परिवार को प्रतिमाह दो किलोग्राम सरसों अथवा तिल आवंटित करने के लिए लगभग 38 हजार टन सरसों या तिल रियायती दर पर जल्द से जल्द आवंटित करने पर विचार किया जाये, ताकि प्रदेश के 50 सूखाग्रस्त जिलों के बाशिंदों की इस मुश्किल घडी में मदद हो सके.
अखिलेश ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर इस सामग्री पर आने वाला खर्च उठाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है. हालांकि वह सामग्री के वितरण, परिवहन एवं मार्जिन मनी पर आने वाला खर्च वहन करने को तैयार है. इस संबंध में गत तीन फरवरी को भेज गये पत्र के माध्यम से केंद्र से पहले ही अनुरोध किया जा चुका है. उन्होंने पत्र में कहा कि प्रदेश में सूखे के कारण ग्रामीण क्षेत्रो के किसानों को अत्यधिक कठिनाइयों का समाना करना पड़ रहा है. यह लगातार दूसरा वर्ष है, जिसमें किसानों के सामाने सूखे की विषम स्थिति है. इससे निबटने के लिए प्रदेश सरकार सजग और संवेदनशील है.
मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि राज्य के 75 में से बुंदेलखण्ड के कुछ जिलों समेत 50 जनपद सूखाग्रस्त हैं. इनमें लगभग 28 लाख परिवार अन्त्योदय श्रेणी के हैं. इन हालात को देखते हुए राज्य सरकार का मानना है कि सूखाग्रस्त जिलों के सभी लोगों को गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले और सामान्य लोगों के बीच फर्क किये बगैर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 का लाभ पहुंचाया जाये और तीन किलोग्राम गेहूं तथा दो किलोग्राम चावल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह का वितरण छह माह तक कराया जाये, जिससे सूखाग्रस्त जिलों के निवासी इस विषम परिस्थिति से उबर सके.