दिल्ली से सटे दादरी में अखलाक नामक एक व्यक्ति की कुछ महीने पूर्व गौमांस के संदेह में पीट पीट कर की गयी हत्या के मामले में जांच रिपोर्ट आयी है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है किअखलाकके घर पर पका मांस गाय का नहीं, बकरे का था. इस रिपोर्ट ने सच और शोर के बीच लोगों को फर्क करनेव सोचने को मजबूर किया है. सवाल यह भीउठाहै कि क्या यूं ही किसी मुद्दे पर अफवाह मात्र से किसी की जान ले ली जायेगी.
वेटनरी विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
यह बात गौतमबुद्ध नगर वेटेनरी विभाग की रिपोर्ट में कही गयी है. वेटनरी विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस मटन की जांच की गयी है, वो गाय नहीं बकरे का था. साथ ही यह भी कहा गया है कि जांच की पुष्टि के लिए सैंपल को फारेंसिक लैब में भेज दिया गया है.
पूरे देश में चली बहस
28 सितंबर को दादरी के बिसहेड़ा गांव मेंउन्मादी भीड़ ने अखलाककेघर में घुस कर गौमांस के शक मेंउसकी पीटपीट कर हत्या कर दी. जबकि उनका 22 साल का बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया था. राष्ट्रीय राजधानी से सटे होने के कारण यह मामला रातोंरात सुर्खी बन गया. टीवी मीडियाके ओवी वैन ने इस मुद्दे को कवर करने के लिए वहां एक तरह से कैंप किया, जिससे यह पूरे देश में सुर्खियों में आ गया और राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गयी.
सहम गये थे गांव के लोग
जिस बिसहेड़ा गांव में लोग पीढ़ियों से मिलजुल कर रह रहे थे, वहां दरार पैदा हो गयी. दो संप्रदाय के लोग जो कल तक एक दूसरे के सुख दुख के साथी थे अब एक दूसरे की परछायी पर भी संदेह करने लगे. इस घावको भरने के लिए किसी दूसरे ने नहीं गांव के लोगों ने राह तलाशी. गांव में एक मुसलिम लड़की की हिंदू परिवारों ने शादी में मदद की. इससे लोगों का भरोसा फिर लौटा. हालांकि इन उपायों के बावजूद अखलाक का परिवार सशंकित रहा, पर देश के प्रति उनके समर्पण में कमी नहीं आयी. अखलाक के बेटे ने कहा कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा.
अभी भी तनाव
कहते हैं टूटे रिश्तों को जोड़ने पर भी उसमें गांठ तो पड़ ही जाती है. वहीं, हाल बिसहेड़ा गांव की है. वहां अब भी तनाव है. अखलाक का परिवार गांव में रहने में स्वयं को असुरक्षित मानता है. पिछले दिनों एक संगठन द्वारा गांव में कथित रूप से शुद्धीकरण कराये जाने की बात कही गयी थी, इसके बाद फिर से तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. बाद में पुलिस ने उस पर रोक लगा दी.