लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) पर एक बार फिर सवाल उठाये हैं. उन्होंने निकाय चुनावों में इससे छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. मायावती की तरह सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा पर इवीएम में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया.
मायावती ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यदि भाजपा ईमानदार है और लोकतंत्र में विश्वास करती है तो उसे इवीएम हटा देना चाहिए और बैलट पेपर पर चुनाव कराने चाहिए. यदि भाजपा को विश्वास है कि जनता उसके साथ है, तो उसे बैलट पेपर पर चुनाव कराने चाहिए. परिणाम भाजपा को चौंका देगा. बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि मैं गांरटी देती हूं कि बैलट पेपर्स का इस्तेमाल किया गया, तो भाजपाको मुंह की खानी पड़ेगी.
इसी तरह, अखिलेश ने ट्वीट किया कि भाजपा ने बैलेट पेपरवाले इलाकों में महज 15 फीसदी सीटें ही जीतीं, लेकिन इवीएमवाले इलाकों में वो 46 फीसदी सीटें जीत गयी. साफ है अखिलेश भी भाजपा की जीत को कहीं न कहीं इवीएम में की गयी गड़बड़ी से जोड़ रहे हैं. गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी मायावती भाजपा पर इवीएम में गड़बड़ी करने का आरोप लगा चुकी हैं. निकाय चुनाव के परिणामों पर सवाल किये जाने पर मायावती ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि यदि 2019 के लोकसभा चुनाव बैलट पेपर से कराये गये, तो बसपा उनका सफाया कर देगी.
चुनाव नतीजों पर बोलते हुए मायावती ने कहा कि दलित समुदाय के अलावा समाज के सवर्ण और पिछड़े वर्ग ने भी बसपा को समर्थन दिया और यह पार्टी के लिए अच्छे संकेत हैं. साथ ही समाज के मुस्लिम तबके का समर्थन भी हमें हासिल है. उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की तमाम कोशिशों के बावजूद बसपा नंबर दो पर रही. उन्होंने कहा कि भाजपा भले ही आज सत्ता में हो, लेकिन हमें भरोसा है कि न सिर्फ बहुजन समाज, बल्कि अन्य समुदाय की जनता भी हमारे साथ है. मायावती ने कहा कि बसपा ने हमेशा से सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के नारे पर ही सत्ता चलायी है. भविष्य की रणनीति पर चर्चा करते हुए मायावती ने कहा कि वह देशभर में रैलियां करने जा रही हैं.
मायावती के सवाल का जवाब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने दिया है. शर्मा ने कहा है कि वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण इन दलों को पराजय का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि खोट इवीएम में नहीं, बल्कि विरोध कर रहे लोगों के दिमाग में है. विपक्षी दलों पर वार करते हुए शर्मा ने कहा कि वे जाति और संप्रदाय की राजनीति करते थे, जिसके कारण उन्हें मुंह की खानी पड़ी है.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत मिली है. महापौर की 16 सीटों में से 14 परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे, जबकि अलीगढ़ और मेरठ सीटें बसपा के खाते में गयी. महापौर चुनाव में सपा व कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. इन चुनाव में जहां भाजपा की आंधी चली, तो बसपा को जीत की संजीवनी भी मिली. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी कुछ वार्ड में जीत हासिल कर यूपी की राजनीति में दस्तक दी है.