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Ganga Dussehra 2022: जानें गंगा स्नान के लिए दशहरा का दिन क्यों है खास, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व

Ganga Dussehra 2022: हमारे प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाने की परम्परा आरंभ हुई. काशी में गंगा दशहरा के दिन अलग ही उल्लास देखने को मिलता है.

Varanasi News: धरती पर गंगा के अवतरण दिवस के रूप में गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है. हमारे प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाने की परम्परा आरंभ हुई. काशी में गंगा दशहरा के दिन अलग ही उल्लास देखने को मिलता है, और हो भी क्यों न घाटों का शहर बनारस बसा भी तो गंगा किनारे है, यहां के 84 घाटों पर मां गंगा की शीतल लहरे अठखेलियां करती हैं.

दशहर पर काशी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

गंगा दशहरा के पावन पर्व पर आज काशी में हजारों लोगों ने गंगा में दस जन्मों के पुन्य कृत फल प्राप्ति की कामना के साथ डूबकी लगाई. भगवान शिव की राजधानी काशी में प्रात काल से ही मां गंगा के पावन तट पर भक्तों का आगमन शुरू हो गया है. ऐसी मान्यता है कि भागीरथ के आवाह्न पर इस दिन मां गंगा शिवजी की जटाओं से बहती हुई धरती पर अवतरित हुई थीं. इस दिन गंगा स्नान और उसके बाद दान का बहुत महत्व है.

कैसे हुआ गंगा का अवतरण

मोक्ष नगरी काशी में आज हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में श्रद्धा और मोक्ष की डुबकी लगाकर अपनी मनोरथ पूरी की. पृथ्वी पर गंगा का अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ था. पुराणों के अनुसार गंगा अवतरण की दो कथा हैं. एक जब भोले शंकर प्रशन्न होकर वैकुण्ठ लोक में तांडव करने लगे तो भगवान् विष्णु इतने प्रशन्न हुए कि पानी पानी हो गये और वहीं कालांतर में गंगा के रूप में अवतरित हुईं, दूसरी कथा के अनुसार, जब भगवान् विष्णु ने विराट स्वरुप धारण किया तो ब्रह्मा जी ने उनके चरणों को जल से धोकर कमंडल में रख लिया. जोकि बाद में भागीरथ के तपस्या से भगवान् भोले शंकर के जटा के माध्यम से धरती अवतरित हुई.

गंगा में 10 डुबकियां लगाने का लाभ

पुराणों में कहा गया है कि गंगा दशहरे पर गंगा में 10 डुबकियां लगाने से मन, तन और कर्म की सभी कलुषित प्रवृत्तियां व्यक्ति के भीतर से निकल जाती हैं. इसी को मैल का धुलना कहते हैं. परंपरानुसार, गंगा दशहरा में गंगाजी को 10 पुष्प, दशांग धूप, 10 दीपक, 10 फल तथा 10 प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं.

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा 2022 की तिथि 9 जून को सुबह 08:23 बजे से 10 जून, शुक्रवार को सुबह 07:27 बजे तक रहेगी. इस समय के बीच कभी भी पाप दूर करने और पुण्य फल पाने के लिए नदी स्नान किया जा सकता है. अगर आप नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिला कर गंगा स्नान का पुण्य फल पा सकते हैं. गंगा दशहरा के दिन बुधादित्‍य योग बन रहा है.

दरअसल, इस तिथि पर सूर्य और बुध ग्रह वृष राशि में एक साथ गोचर करेंगे. गंगा दशहरे 2022 पर रवि योग रहेगा और साथ ही बेहद शुभ हस्‍त नक्षत्र भी रहेगा. मान्यता है कि हस्‍त नक्षत्र में ही गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थीं. गंगा दशहरे पर व्‍यतिपात योग और सफलता योग भी रहेंगे.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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