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यूपी के बाहर असरहीन साबित हुई सपा और बसपा

।। राजेन्द्र कुमार ।। लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली दल समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जादू राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की जनता पर नहीं चला.सपा और बसपा दोनों ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बैलेंस आँफ पावर बनने की मंशा के साथ […]

।। राजेन्द्र कुमार ।।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली दल समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जादू राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की जनता पर नहीं चला.सपा और बसपा दोनों ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बैलेंस आँफ पावर बनने की मंशा के साथ अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. परन्तु इन चारों ही राज्यों की जनता ने सपा तथा बसपा का कोई महत्व नहीं दिया.

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और दिल्ली की जनता द्वारा नकारे जाने से सपा और बसपा के मुखिया सदमें में हैं. यही वजह रही कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के चुनाव परिणाम आने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सपा की तरफ से जरूर पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने यह कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भाजपा को मिली बढ़त की वजह कांग्रेस की कुनीतियॉ हैं. उसी ने भाजपा को आगे बढ़ाने का काम किया है. चौधरी के अनुसार कांग्रेस ने केन्द्र में अपने दो कार्यकाल में मंहगाई और भ्रष्टाचार के जो रिकार्ड कायम किए हैं.

और जिस तरह से कांग्रेस ने देश पर अपनी गलत नीतियॉ थोपी है उसकी प्रतिक्रिया में इन चारों राज्यों की जनता ने काग्रेस को नकारा है. इस नकारात्मक प्रतिक्रिया के परिणाम स्वरूप ही भाजपा को बढ़त मिली है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी का उदय कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रति जनविक्षोभ का परिणाम है.

सपा प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि कांग्रेस से नाराजगी का जिन तत्वों ने फायदा उठाकर अपना संख्या बल बढ़ाया है उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जनता ने उनको स्वीकार नहीं किया है. सिर्फ कांग्रेस को हटाया भर है. आगामी लोकसभा चुनावों में जनता भाजपा-कांग्रेस को भाव न देकर एक नए राजनीतिक विकल्प को सत्ता में बिठाने का काम करेंगी.

यह दावा कर सपा प्रवक्ता ने यह अहसास कराने का प्रयास किया कि यूपी के बाहर सपा का जादू ना चलने से पार्टी हताश नहीं है और आगामी लोकसभा चुनावों को गंभीरता से लेते हुए वह भाजपा तथा कांग्रेस के खिलाफ यूपी में जोरदार तरीके से अपना अभियान चलाएगी.

वही बसपा के राजनीतिक रणनीतिकार सतीश मिश्र से लेकर पार्टी महासचिव नसीमुददीन सिद्दीकी इन चारों राज्यों में मिली असफलता पर चुप्पी साधे हुए हैं. इन दोनों बसपा नेताओं का कहना है कि पार्टी सुप्रीमों मायावती ही चारों राज्यों के चुनाव परिणामों की समीक्षा करने के बाद कोई प्रतिक्रिया जाहिर करेंगी.

यह नेता यह नहीं बता पा रहे हैं कि मायावती द्वारा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और दिल्ली में किए गए चुनाव प्रचार के बाद भी बसपा इन राज्यों में बैलेंस आँफ पावर क्यों नहीं बन सकी. इन चारों ही राज्यों में बसपा 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में अपने कई प्रत्याशी जिताने में सफल रही थी. इसी के चलते पार्टी ने इन राज्यों की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा किए थे.

बसपा की देखादेखी यूपी की सत्ता पर काबिज सपा ने भी दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर तथा मध्य प्रदेश और राज्स्थान की कुछ सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. जिन्हें इन राज्यों की जनता ने खास महत्व नहीं दिया. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अशुतोष कहते हैं कि मोदी के जादू के आगे जाति की राजनीति करने वाले सपा और बसपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के लोगों ने पसंद नहीं किया. जिसके चलते सपा और बसपा यूपी के बाहर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में असरहीन साबित हुए.

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