।। राजेन्द्र कुमार ।।
लखनऊ : लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में बसपा और कांग्रेस से जुड़े वाल्मीकि समाज को सपा में लाने की मुहिम तेज हो गई है. सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद ही इस मुहिम की कमान संभाल ली है. इसके तहत अब वह वाल्मीकि समाज के बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के साथ ही संविदा पर कार्यरत सफाईकर्मियों के वेतन में इजाफा करने की तैयारी में जुट गए हैं.
पार्टी नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री 26 नवंबर को लखनऊ में सफाई मजजूरों की होने वाली विशाल रैली में शामिल होकर वाल्मीकि समाज के 35 हजार बेरोजगार युवकों को नौकरियां देने की घोषणा करेंगे. इस रैली में मुख्यमंत्री के अलावा सूबे के नगर विकास मंत्री आजम खां भी शामिल होंगे.
उप्र राज्य सफाई आयोग द्वारा आयोजित इस रैली में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नगरीय निकायों में कार्यरत संविधा सफाईकर्मियों व ठेकेदारों के शोषण का शिकार सफाई मजदूरों को भी बढ़ी हुई मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित कराने का आश्वासन भी देंगे. श्रम विभाग के कानून के अनुसार सफाई मजदूरों को 120 रुपये प्रतिदिन भुगतान मिलना चाहिए लेकिन ठेकेदारों द्वारा इन्हें दो-तीन हजार रुपये ही दिए जा रहे है.
इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने अब श्रम अधिनियम -1948 के प्रावधानों के अनुसार सफाई मजदूरों को भी वर्तमान में लागू न्यूनतम मजदूरी 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से महीने का 5200 रुपये (चार छुट्टी होने पर) मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित कराने का निर्णय लिया. कहा जा रहा है कि 26 नवंबर की रैली में मुख्यमंत्री इसकी भी घोषणा करेंगे.
सफाई कर्मचारियों के प्रति मुख्यमंत्री की यह दरियादिली अकारण नहीं है. राज्य के हर जिले में बड़ी संख्या में वाल्मीकि समाज की मौजूदगी है. कभी कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक रहा यह समाज सूबे में बसपा के मजबूत होने पर उसके साथ खड़ा हो गया था. परन्तु मायावती शासन में इस समाज की ओर बसपा नेताओं ने ध्यान नहीं दिया.
ऐसे में कांग्रेस और बसपा के साथ रहने वाले इस समाज को सपा से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ने वाल्मीकि समाज के बेरोजगार युवकों को नौकरी देकर उन्हें अपने साथ जोड़ने की रणनीति तैयार की. मुख्यमंत्री का मानना है कि इस समाज का सहयोग मिलने से सपा का वोटबैंक मजबूत होगा और लोकसभा के चुनावों में उसका लाभ सपा को मिलेगा.
इसके तहत ही अब इस समाज को सपा से जोड़ने के लिए ही मुख्यमंत्री ने सूबे के 13 नगर निगम सहित 194 नगर पालिका परिषद व 423 नगर पंचायतों में 35 हजार संविदा सफाईकर्मियों के पद पर भर्ती करने की तैयारी है. इसके साथ ही उन्होंने मुलायम सरकार द्वारा पूर्व में रखे गए 59,953 संविदा सफाईकर्मियों को वेतन समिति (2008) की संस्तुतियों के मुताबिक वेतन देने पर विचार विमर्श शुरू किया है. अभी ऐसे सफाई कर्मियों को 4300 रुपये प्रतिमाह तक ही मिल रहा है.
संस्तुति लागू होने पर राज्य कर्मियों की भांति ऐसे संविदा सफाईकर्मियों को न्यूनतम वेतन 5200 रुपये, ग्रेड वेतन 1800 रुपये व डीए का 5600 रुपये मिलाकर कुल 13300 रुपये प्रतिमाह बनेगा. सरकार के ऐसे निर्णयों से सफाईकर्मियों का भला होगा और वह सपा से जुड़ेंगे. सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का यह मत है.
उप्र राज्य सफाई आयोग के अध्यक्ष जुगल किशोर वाल्मीकि भी मानते हैं कि मुख्यमंत्री वाल्मीकि समाज के बेरोजगार युवकों को लेकर चितिंत हैं. वह कहते हैं कि मंगलवार की रैली में मुख्यमंत्री कई अहम घोषणाएं करेंगे, जिन्हें सुनने के लिए स्थानीय निकाय, पंचायती राज तथा स्मारकों के सफाई कर्मचारी बहुत बड़ी संख्या में भाग लेंगे.