आजमगढ: सियासत आजमगढ पर बेशक आज आतंक के दाग थोपने की कोशिश कर रही हो लेकिन राहुल संकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, शिबली नोमानी, कैफी आजमी और छन्नू लाल मिश्र की इस भूमि पर गंगा जमुनी तहजीब आज भी बरकरार है और सुविधाओं के अभाव, पिछडेपन और तमाम तरह की परेशानियों के बीच विभिन्न वर्गों के लोग भाइचारे की इस डोर को थामे हुए हैं.
भाइचारे की डोर को उंचाई पर पहुंचाने की कवायद में हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को माध्यम बनाया है तो दूसरी ओर सामुदायिक रेडियो ‘वायस आफ आजमगढ’ ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है.‘वायस आफ आजमगढ’ की वरिष्ठ प्रबंधक सीमा भारती श्रीवास्तव ने कहा कि सतही स्तर पर आजमगढ की जैसी भी धारणा बनी हो लेकिन राहुल संकृत्यायन, हरिऔध, शिबली नोमानी और कैफी आजमी जैसे अजीम तरीम लोगों की इस भूमि पर गंगा जमुनी तहजीब आज भी बरकरार है. वायस आफ आजमगढ के माध्यम से हमारी कोशिश लोगों की आवाज बनना है. रेडियो जाकी राहत बानो बनारस से आजमगढ नौकरी करने आई हैं। उन्होंने कहा कि हम आजमगढ की उन महिलाओं की आवाज बनना चाहते हैं जिनके पति काम की तलाश में बाहर गए हैं.आजमगढ में ही हरिहरपुर गांव स्थित है जो संगीत के लिहाज से ‘हरिहरपुर घराने’ के रुप में विख्यात है. इस घराने से संबद्ध कलाकार संगीत के माध्यम से भाइचारे की डोर को उंचाइयों पर पहुंचाने में लगे हैं.
संगीतकार कमलेश कुमार मिश्र ने कहा कि संगीत आजमगढ के दिल में बसा है. काफी छोटी उम्र से ही बच्चे संगीत की अपनी पुरानी विरासत को आगे बढाने में लगे हुए हैं. युवक खेतों में काम करते हुए भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. सुविधाओं का अभाव है लेकिन लोग निराश नहीं हुए हैं.लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, भाजपा के रमाकांत यादव जैसे उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से चर्चित आजमगढ सियासत के बीच अपना पहचान तलाश रहा है.