मथुरा : मथुरा यानी यूपी का एक धार्मिक शहर. इसे संसार में कान्हा की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. बीते लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह ने अपने पुत्न जयंत चौधरी की राजनीति में मथुरा संसदीय सीट से ही इंट्री करायी थी. तब मथुरा की जनता ने जयंत चौधरी को डेढ़ लाख से अधिक मतों से जिताकर संसद में भेजा था. वही जयंत फिर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी ने फिल्म अभिनेत्नी हेमामालिनी को उतारा है. यहां दोनों के बीच कांटे का मुकाबला हो रहा है.
जिसके चलते क्षेत्न के विकास संबधी सारे मुददे यहां पर पीछे चले गए हैं. यमुना के प्रदूषण से लेकर गांवों में बिजली की कटौती तक पर कोई अब चर्चा नहीं कर रहा. चुनाव जीतने के बाद क्षेत्न में ना आने को लेकर भी जयंत से सवाल नहीं पूछे जा रहे. यहां तो बस हेमामालिनी के ग्लैमर और उनके मुकाबले खड़े जयंत चौधरी जीतेंगे या नहीं, इसे लेकर ही हर जगह बहस छिड़ी है. फिर चाहे वह यहां का बांके बिहारी का मंदिर हो या इस्कान मंदिर का परिसर अथवा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का क्षेत्न. इन सभी जगहों पर लोग पूजा अर्चना करने के बाद चुनावी चर्चा में ही जूङो दिखाई पड़ते हैं.
हेमामालिनी और जयंत दोनों का ही मथुरा से पुराना नाता रहा है. हेमामालिनी यहां के मंदिरों में आयोजित होने वाले समारोहों में हर वर्ष आती रही हैं. वहीं जयंत चौधरी के दादा स्वर्गीय चरण सिंह ने इस ससंदीय क्षेत्न को अपने पारिवारिक क्षेत्न के रूप में स्थापित किया था और अपनी पत्नी को यहां से चुनाव जिताया था. इसी पारिवारिक नाते के तहत जयंत यहां से फिर ताल ठोंक रहे हैं. उन्हें क्षेत्न में अपने बाबा के प्रभाव और जाट मतदाताओं पर भरोसा है. इसी वजह से जयंत के प्रचार पोस्टरों में चौधरी चरण सिंह की फोटो है.
बसपा ने यहां से दलित और ब्राह्मण मतों के भरोसे योगेश द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि सपा ने ठाकुर चंदन सिंह और आम आदमी पार्टी ने अनुज गर्ग को मैदान में उतारा है. इस संसदीय सीट पर कुल 20 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें हेमामालिनी नाम की एक निर्दलीय प्रत्याशी भी है. जिसके चलते फिल्म अभिनेत्नी हेमामालिनी को बार-बार यह बताना पड़ रहा है कि वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है.
फिलहाल यहां चुनावी मुकाबला बेहद रोचक हो गया है. मुख्य चुनावी संघर्ष यहां पर रालोद के जयंत चौधरी और भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी के बीच ही दिख रहा है. इन्हीं दोनों के बड़े-बडे होर्डिंग मथुरा से लेकर वृदांवन तक दिख रहे हैं. जयंत यहां अपनी साफ छवि और जाटों के हमदर्द नेता के रूप में लोगों से संपर्क कर रहे है. तो दूसरी तरह मोदी लहर के भरोसे हेमा अपने ग्लैमर का जादू जनता पर चला रही हैं. उन्हें देखने सुनने वालों की भीड़ हर जगह उनका इंतजार करती है. इस जाट बहुल सीट पर जाट प्रत्याशियों को सफलताएं ज्यादा मिली हैं. इसलिए फिल्म अभिनेत्नी हेमामालिनी श्रीकृष्ण की इस जन्म स्थली में आकर अपने को जाटनी बताने में कही भी पीछे नहीं रहती. हेमा मालिनी के पति फिल्म स्टार धर्मेंद्र जाट हैं और इसका फायदा वह उठाने का मौका छोड़ नहीं रही. उनकी दोनों पुत्रियां भी मां के प्रचार में जुटी हैं. जनता से जुड़ाव के लिए हेमामालिनी भी खेतों में महिलाओं के बीच खड़ी होकर फोटो खिंचाने और हैंडपंप चलाने तक से गुरेज नहीं करती. हेमा के प्रचार का यह स्टाइल जयंत सहित अन्य उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहा है.
जयंत भी इस जमीनी सचाई को समझ रहे हैं. इसलिए वह अपने बाबा की पूंजी यानि जाट मतदाताओं पर पर ध्यान लगाकर जाट चौधरियों के घर-घर जा रहे हैं. उनसे कह रहे हैं कि हेमा मालिनी के पास क्षेत्न के विकास को लेकर कोई प्लान नहीं है, बस नरेंद्र मोदी का नाम हैं. जयंत के ऐसे प्रचार के बीच उनके पिता अजित सिंह भी अपने पुत्न के लिए क्षेत्न में छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं. जिसके जवाब में हेमामालिनी कहती हैं कि मेरे पास मुद्दे भी हैं और मोदी भी.
जयंत और हेमामालिनी के इस चुनावी संघर्ष के बीच सपा के चंदन सिंह और बसपा ने योगेश द्विवेदी मुख्य लड़ाई में आने का प्रयास कर रहे है. सपा की कोशिश है कि उसके साथ मुस्लिम मतदाता आ जाए, लेकिन मुस्लिम मतदाता चुप्पी साधे हैं. मथुरा के होलीगेट के पास रह रहे आलोक भारद्वाज कहते हैं कि यहां मोदी की लहर है. मोदी लहर की लहर जयंत के रास्ते का रोड़ बन सकती है. ऐसे दावे शहर के हर कोने पर लोग कर रहे हैं. मंदिरों में भी हेमामालिनी के चर्चे हैं. जाहिर है कि मंदिरों के इस शहर में जयंत चौधरी की राह इस बार यहां आसान नहीं है. हेमामालिनी का ग्लैमर और मोदी की हवा उन पर भारी पड़ सकती है.
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मथुरा संसदीय क्षेत्न
कुल मतदाता :::::: 1625100
पुरूष मतदाता ::::::: 900622
महिला मतदाता ::::::: 724337
पोलिंग सेंटर :::::: 1730