चक्रधरपुर : इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम के वसीले से हमें रमजान के रोजे मिले. जिसमें हमारी बख्शीश का जरिया फराहम किया गया. हम पर रोजे फर्ज कराने वाले नबी ए अकरम के बारे में जानना जरूरी है. आप नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने एक हज और 4 बार उमरह किये. आपके हज को हज्जतुल विदा नाम से जाना जाता था. जिसमें आपने कुरआन मुकम्मल होने का एलान किया था.
23 सालों में कुरआन मुकम्मल हुआ था. हज के बाद आपके द्वारा की गयी तकरीर इसलाम का एक खास हिस्सा है. जिसमें औरतों का सम्मान और दुश्मनों का माफ करने का भी संदेश शामिल है. आपने जिंदगी के 53 साल मक्के में और 10 साल मदीने में गुजारे. आपके दांत मुबारक जंगे ओहद में शहीद हुए. आपकी वफात हुई तो गुस्ल हजरत अली रजिअल्लाहु तआला अन्हु ने दिया. आपकी कब्र ए मुबारक हजरत रबि रजिअल्लाहु तआला अन्हु ने खोदा था.
आपने बताया कि ये दुनिया मोमिन के लिए कैद खाना और दूसरों के लिए जन्नत है. आपने फ़रमाया की गरीबों को खाना खिलाओ और हर मोमिन को सलाम करो, चाहे आप उन्हें जानते न हो तब भी. आपने फरमाया कि कोई भी मुसलमान किसी भी मोमिन भाई से तीन दिन से ज्यादा नाराज नहीं रह सकता अगर नाराज रहेगा तो जायज नहीं होगा. आपके मोजिजात पूरी दुनिया के लिए हैरत व इबरत है. आपका साया (परछाई) कभी जमीन में नही पड़ता था. आपके बदन ए मुबारक पे कभी मक्खी नहीं बैठती थी. आपको कभी उबासी (जमाही) नहीं आई. आप जैसे आगे देखते थे वैसे ही पीछे से देखते थे. आप अगर जिस पानी में लुवाबे देहन डाल देते तो वो पानी मीठा हो जाता. अल्लाह हमें नबी की सुन्नत पर जिंदगी गुजारने की तौफीक से नवाजे. प्रस्तुतकर्ता : मो इब्राहीम खान, आरजू खादिम खिदमते खल्क