मनोहरपुर : टुसू पर्व के आयोजन को लेकर मनोहरपुर व आनंदपुर के शहरी क्षेत्र के साथ-साथ गांवों में तैयारियों का दौर शुरू हो गया है. कुड़मी बहुल क्षेत्रों में पीठा-पकवान की तैयारी के लिये चावल धोना-सुखाना प्रारंभ हो गया है.
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मनोहरपुर व आनंदपुर में टुसू पर्व की तैयारी में जुटे लोग
मनोहरपुर : टुसू पर्व के आयोजन को लेकर मनोहरपुर व आनंदपुर के शहरी क्षेत्र के साथ-साथ गांवों में तैयारियों का दौर शुरू हो गया है. कुड़मी बहुल क्षेत्रों में पीठा-पकवान की तैयारी के लिये चावल धोना-सुखाना प्रारंभ हो गया है. मंगलवार को आनंदपुर में लगने वाले साप्ताहिक हाट में पर्व के मद्देनजर लोगों ने जमकर […]
मंगलवार को आनंदपुर में लगने वाले साप्ताहिक हाट में पर्व के मद्देनजर लोगों ने जमकर खरीददारी की. तिल,चुड़ा,चावल,कपड़े,जुते-चप्पल आदि की खरीददारी की. इससे पुर्व रविवार को मनोहरपुर के साप्ताहिक हाट में भी लोग खरीददारी करने पहुंचे तथा जमकर खरीददारी की.
मनोहरपुर के बड़पोस व बारंगा में लगेगा मेला: मनोहरपुर प्रखंड के बारंगा व बड़पोस गांव में भी टुसू पर्व पर भव्य मेले का आयोजन होता है. बड़पोस गांव में युवा उत्थान किसान समिति के तत्वावधान में वर्ष 1964 से उक्त मेले का आयोजन किया जा रहा है.
जबकि बारंगा गांव में बॉक्सम यूथ क्लब द्वारा लगने वाले टुसू मेला दशकों पुराना है. प्रखंड के विभिन्न क्षेत्र,गांवों से लोग अपने-अपने टुसू प्रतिमाओं के साथ नाचते-गाते उक्त मेलों में हिस्सा लेते हैं. मेला का खास आर्कषण यहां लगने वाले मुर्गा पाड़ा आयोजन भी है.
क्या है टुसू की मान्यता
टुसू पर्व के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि मुगल साम्राज्य के समय टुसू और भादु दो बहनों ने किसी हिंदू समाज के घर में जन्म लिया था. टुसू के सौंदर्य रूप व गुण को देख कर लोग टुसू को मां लक्ष्मी देवी का रूप समझ कर पूजा करने लगे. दुर्भाग्यवश कोई धर्म संकट आ जाने पर टुसू अपने स्त्रीत्व की रक्षा के लिए आत्महत्या कर ली थी. टुसू द्वारा आत्महत्या करने से हिंदू रीति-रिवाज को मानने वाले लोगों को बहुत दु:ख पहुंचा. तब से लेकर आज तक लोग उनकी यादगार में टुसू की मूर्ति बनाकर पूजा कर विसर्जन करते आ रहे हैं.
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