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जलसंकट से जूझ रहे हैं 10 गांवों के पांच हजार लोग

मनोहरपुर : छोटानागरा पंचायत के गांवों में पंचायती राज शासन व्यवस्था के बाद भी मूलभूत सुविधाअों का घोर अभाव है. पंचायत के 10 गांवों में जोजोगुट्टू, राजाबेड़ा, रड़ुवा, दुबिल, जामकुंड़िया, सोनापी, बहदा, तेतलीघाट, बाइहातू व छोटानागरा शामिल है. यहां की कुल आबादी करीब पांच हजार है. 18 स्कूल, 11 आंगनबाड़ी केंद्र, एक स्वास्थ उपकेंद्र, एक […]

मनोहरपुर : छोटानागरा पंचायत के गांवों में पंचायती राज शासन व्यवस्था के बाद भी मूलभूत सुविधाअों का घोर अभाव है. पंचायत के 10 गांवों में जोजोगुट्टू, राजाबेड़ा, रड़ुवा, दुबिल, जामकुंड़िया, सोनापी, बहदा, तेतलीघाट, बाइहातू व छोटानागरा शामिल है. यहां की कुल आबादी करीब पांच हजार है.

18 स्कूल, 11 आंगनबाड़ी केंद्र, एक स्वास्थ उपकेंद्र, एक थाना समेत हजारों की संख्या में ग्रामीणों को पेयजल की समस्या से जूूझना पड़ रहा है. यहां धुबिल समेत कई गांवों में महिलाओं को पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता है. नाले के किनारे खोदे गये चुओं पर ग्रामीण पानी पीने समेत अन्य कार्यों के लिए निर्भर हैं.

अधिकांश नलकूपों का पानी गंदा
छोटानागरा समेत आसपास के गांवों में विभिन्न मदों से नलकूप व पेयजल की व्यवस्था भले ही प्रशासन करती आयी है, लेकिन यहां की अधिकांश अाबादी नलकूप के बजाये नालों के पानी पर ही निर्भर है. यहां के अधिकांश नलकूपों से निकलने वाला पानी साफ नहीं होता. यही वजह है कि पहाड़ों से निकलने वाले जल स्त्रोत अथवा चुआें पर ग्रामीणों को निर्भर रहना पड़ता है.
स्वास्थ्य पर पड़ रहा है प्रतिकूल असर : यहां के ग्रामीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. लौहकण युक्त व विभिन्न प्रकार के जीवाणु-जिंस मिले पानी के सेवन से लोगों की स्वास्थ पर बुरा असर पड़ रहा है. कच्चे लौह अयस्क की प्रचुर मात्रा के कारण यहां के पानी में लौह कण की मात्रा ज्यादा है. सारंडा की 70 फीसदी लोग आज भी नदी-नालों के पानी पर ही निर्भर है. सारंडा क्षेत्र के मकरंडा, सामठा, लाइलोहर, पंचपहीया, डोमलोई, सागजोड़ी, दीघा, दुबिल, रडुवा, जोजोगुट्टू, तेतलीघाट, हतनाबुरु, राजाबेड़ा आदि गांवों में पेयजल के साथ-साथ अन्य कामों के लिए पानी की समस्या गरमी के दिनों में और भी गंभीर हो जाती है.
लाल पानी अभिशाप , कई एकड़ कृषि भूमि हुई बंजर
पंचायत के विभिन्न गांवों में हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि है, लेकिन खदानों से निकलने वाले लाल पानी के कारण बंजर हो गयीं हैं. दुबिल, हेंदेदिरी, छोटानगरा, जोजोगुट्टू समेत अन्य गांवों में यह समस्या व्याप्त है. ग्रामीणों का कहना है कि लाल पानी हमारे लिए अभिशाप बन गया है. इससे न सिर्फ खेत बंजर होते जा रहे हैं, बल्कि खेती की भी समस्या उत्पन्न हो गयी है.
मनोहरपुर. पेयजल संकट से जूझ रहे प्रखंड के उरकिया गांव के युवकों ने सकारात्मक संदेश दिया है. युवकों ने पेयजल की समस्या से लड़ने का बीड़ा खुद अपने कंधे पर उठा लिया. किशोर समाज सेवा समिति के बैनर तले ग्रामीण युवाओं ने रविवार को गांव के करीब से बहने वाली कोयल नदी में अस्थायी बांध बनाया, जहां पानी का संचयन किया जा रहा. इससे न सिर्फ ग्रामीणों की पेयजल समस्या का समाधान होगा, बल्कि मवेशियों को भी पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. मालूम हो कि उरकिया गांव में महतो टोला, पुरती टोला, बनटोला, कंडुलना टोला व नदी टोला में पेयजल की समस्या है.
यहां दर्जनों की संख्या में सिंचाई कूप एवं निजी कुआं सूख चूके हैं. ऐसे में एक मात्र उपाय नदी का पानी है. युवकों ने बताया कि आने वाले दिनों में गांव में होने वाली पानी की समस्या से निबटने के लिए कई प्रकार के अभियान चलाये जायेंगे. श्रमदान करने वाले युवकों में मुख्य रूप से खेमराज महतो, पूर्णचंद्र कुम्हार, प्रदीप पुरती, राजेश महतो, सुभाष चंद्र महतो, जवाहर महतो, जगबंधु कुम्हकार, अतूल कुम्हकार, रोशन पुरती, गिरधारी दास, नरेश महतो आदि युवकों ने योगदान दिया.

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