मसीही समुदाय ने पूर्वजों को दी श्रद्धांजलि
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ग्रेट ईस्टर . प्रभु के पुन: जी उठने का संदेश सुन कर हर्षोल्लास में झूम उठे ईसाई समुदाय के लोग
मसीही समुदाय ने पूर्वजों को दी श्रद्धांजलि ईस्टर ईसाइयों का सबसे बड़ा पर्व है. यह वसंत ऋतु में पड़ता है. महाप्रभु ईसा मसीह मृत्यु के तीन दिनों बाद इसी दिन फिर जी उठे थे, जिससे लोग हर्षोल्लास से झूम उठे चक्रधरपुर : महान पर्व ईस्टर हमेशा एक ही तारीख को नहीं पड़ता. 21 मार्च के […]
ईस्टर ईसाइयों का सबसे बड़ा पर्व है. यह वसंत ऋतु में पड़ता है. महाप्रभु ईसा मसीह मृत्यु के तीन दिनों बाद इसी दिन फिर जी उठे थे, जिससे लोग हर्षोल्लास से झूम उठे
चक्रधरपुर : महान पर्व ईस्टर हमेशा एक ही तारीख को नहीं पड़ता. 21 मार्च के बाद जब पहली बार चांद पूरा होता है, उसके बाद के पहले रविवार को ईस्टर का त्योहार होता है. यह पर्व वसंत ऋतु में आता है, जब प्रकृति मुस्करा उठती है.
चक्रधरपुर में रविवार को ईसाई धर्माविलंबियों का सबसे बड़ा पर्व ईस्टर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शहर भर के चर्चों में प्रार्थना सभाएं आयोजित की गयी. कैथोलिक ख्रीस्त राजा चर्च पोटका में अनुयायियों ने प्रार्थना का आयोजन किया. शनिवार रात 12 बजे शहर के सभी चर्चों में छह बड़े घंटे बजा कर प्रभु के महान दिन की घोषणा की गयी.
साथ ही आग की आशीष से पवित्र पास्का को बड़ी कैंडल को रोशन किया गया. कैंडल को लेकर जब जुलूस चर्च परिसर से हॉल तक गया, तो चर्च की रोशनी को बंद कर दी गयी. सैकड़ों की संख्या में अनुयायी भी कैंडल लेकर जुलूस में शामिल हुए. इसके बाद बड़ी कैंडल वेदी पर स्थापित की गयी, तो पूरे चर्च को बिजली की रोशनी से रोशन दिया गया. मौके पर फादर बर्नन डिसूजा ने प्रभु के दोबारा जी उठने के प्रसंग की जानकारी दी. इस समारोह में कई फादर फादर रिचर्ड मिरांडा,
फादर बर्नन डिसूजा, लाल गिरजा चर्च में रेभरेन मनोज नाग, जीइएल चर्च में रेभरेन सीके मरांडी, ब्रदर जयराज ने भी शिरकत की. मान्यता है कि प्रभु ईसा मसीह मृत्यु के तीन दिनों बाद इसी दिन फिर जी उठे थे. जिससे लोग हर्षोल्लास से झूम उठे. इसके स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है.
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