दहेज प्रथा के नये रूप की कहानी सर्विसवाली बहू : राकेश
वजह स्पष्ट है. मुङो लगता है कि मैं झारखंड से संबंध रखता हूं और वह भाषा, संस्कृति हर लिहाज से समृद्ध है. और लोग कहानियां देखना पसंद करते हैं. साथ ही मुङो लगता है कि मैं वहां की कहानियों के साथ सही तरीके से न्याय कर पाता हूं. क्योंकि मैं वहां की समझ रखता हूं. साथ ही मुङो लगता है कि भले ही मेरी पृष्ठभूमि बिहार-झारखंड से संबंध रखती हो. लेकिन कहानी पूरे भारत को जोड़ेगी. हर कोई यह शो देखना चाहेगा और इससे खुद को रिलेट करेगा. मुङो नहीं लगता कि ये कहानी केवल किसी राज्य तक सीमित होगी.
सर्विसवाली बहू के शो के बारे में बताएं?
यह कहानी जमशेदपुर शहर की पृष्ठूभूमि पर आधारित है. इसमें कृतिका मुख्य किरदार निभा रही हैं. शो में उसका नाम पायल राय है, जो समाज के नियमों से परे जाकर अपने लिए उच्च शिक्षा हासिल करती है और बाहर काम भी करती है. खुशकिस्मती से पायल को उसके परिवार का भी समर्थन मिलता है, जो अपनी उपलब्धियों से अपने माता-पिता को गर्व करने का मौका देती है. एक ओर जहां महत्वकांक्षी है, वहीं, दूसरी ओर उसने अपने पारिवारिक मूल्यों को भी सहेज कर रखा है. अपनी शिक्षा और सीख के जरिये अपने लिए एक अच्छा करियर बनानेवाली पायल की अपने सपनों के राजकुमार और उसके परिवार को लेकर कुछ खास अपेक्षाएं हैं. ऐसे में क्या होगा जब आत्मविश्वास से भरी और अपने करियर में सफल इस लड़की का सामना एक ऐसे परिवार से होगा, जिसे शिद्दत से सर्विस वाली बहू सिर्फ इसलिए चाहिए, ताकि वह घर का खर्च चला सके.
आप अपने शो को हमेशा एक सामाजिक दृष्टिकोण जरूर देते हैं. इस शो में वह दृष्टिकोण क्या है?
मेरे ख्याल से यह उम्मीदों व प्रेरणा से भरी कहानी है. एक लड़की कैसे खुद के बल पर बड़ी उपलब्धि हासिल कर घर परिवार में लड़के की जगह लेती है. लेकिन आगे चल कर दहेज प्रथा का शिकार हो जाती है, जहां उसके सास-ससुर उसे कमाई का स्थाई जरिया मानने लगते हैं. लेकिन पायल किस तरह अपनी बुद्धिमानी से विरोध किये बिना इसके खिलाफ खड़ी होगी. यह पायल की ही समझबूझ की कहानी है. इस शो का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है. हम चाहते हैं कि लोग इस सच पर भी गौर करें कि हमारा सामाजिक विकास जरूर हुआ है. लेकिन सही मायनों में दहेज प्रथा बंद नहीं हुई है. हमारा उद्देश्य शादी के प्रति एक स्वस्थ मानसिकता को बढ़ावा देना है, जिसमें दोनों ओर से नेक पहल हो. शादी किसी आर्थिक लाभ के लिए न हो.
जीटीवी के साथ आपका यह दूसरा शो है.
हां, जीटीवी के साथ काम करना परिवार में लौटने जैसा है, क्योंकि हमने साथ मिल कर पहले ही ‘अफसर बिटिया’ और ‘दुल्हन’ जैसे सफल शो किये हैं. जहां, अफसर बिटिया में नारी सशक्तिकरण की बात कही गयी थी और औरतों के लिए शिक्षा और करियर के महत्व को बताया गया था. वहीं, हमारी नयी पेशकश सर्विसवाली बहू इस मानसिकता पर सवाल करती है, जिसमें एक कैरियरवाली महिला के कमाने की क्षमता के चलते उसका शोषण करने की भावना शामिल होती है. शो की परिकल्पना इसी आधार पर की गयी है कि हम शादी के प्रति लोगों के रुख पर सवाल उठाएं.
शो का आइडिया कहां से आया?
मैं और मेरे लेखक दोस्त अमित झा एक दिन यूं ही बातें कर रहे थे कि आजकल शादी में केवल लड़के नहीं लड़कियों की कमाई भी देखी पूछी जा रही है. क्योंकि आजकल सभी नौकरी वाली (छोटे शहरों में सर्विसवाली बहू कहा जाता है, ढूंढ रहे हैं, ताकि आसानी से वे कमा कर दें और ससुरवाले ऐश करें. लेकिन दूसरा नजरिया यह भी है कि कई ससुराल ऐसे हैं, जो यह भी मानते हैं कि उनकी बहू कमाती है, तो यह शान की बात है. इसलिए हमने टैगलाइन रखा है सर्विसवाली बहू घर की शान या दहेज का दूसरा नाम. चूंकि इसका सकारात्मक पहलू यह भी है कि किसी भी ससुराल खानदान का इससे मान भी बढ़ता है कि उनकी बहू अच्छे जगह काम करती है.