चक्रधरपुर : चक्रधरपुर वार्ड संख्या पांच चांदमारी निवासी एक गर्भवती महिला को गलत इलाज करने के बाद अस्पताल द्वारा उसे एक लाख तीन हजार रुपये मुआवजा देने का मामला प्रकाश में आया है. जानकारी के मुताबिक 19 वर्षीय गर्भवती महिला पिंकी साव दो मई को चक्रधरपुर संत अंजला अस्पताल में भरती हुई थी. तीन मई को अस्पताल की महिला डॉक्टर जसिंता व डॉ मेरी ने पिंकी का ऑपरेशन किया गया. इसके बाद पिंकी को एक पुत्र हुआ. ऑपरेशन के बाद पिंकी को शारीरिक परेशानी होने लगी.
डॉक्टर को अपनी पीड़ा बताने पर दवा देकर ठीक हो जाने की बात कही जाती रही. लेकिन पीड़ा और बढ़ती गयी. पांच मई को पिंकी संत अंजला अस्पताल से रिलीज कर दिया गया. करीब एक सप्ताह तक पिंकी अपने घर में पेट दर्द से परेशान रही. अस्पताल जाने पर डॉक्टर ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की.
आखिर कार परिवार वाले परेशान होकर पिंकी का इलाज कराने के लिए 14 मई को जमशेदपुर एपेक्स अस्पताल ले गये. यहां डॉ रेनुका चौधरी ने जांच कर दूसरा अस्पताल ले जाने की सलाह दी. 15 मई को परिवार वालों ने पिंकी को टीएमएच में भरती कराया. टीएमएच के डॉ मानव राज ने पिंकी का इलाज शुरू किया. जांच के बाद पिंकी के पेट में टरकिस टाउल (कोटन कपड़ा) होने की बात सामना आया. बताया गया कि पूर्व के ऑपरेशन के दौरान पेट में कपड़ा का टुकड़ा छूट गया था.
इस घटना की सूचना टीएमएच से तत्काल संत अंजला अस्पताल को दी गयी. बिना समय गंवाये संत अंजला अस्पताल की एक टीम टीएमएच अस्पताल गयी. टीएमएच अस्पताल में मामला को पूरी तरह सुलझा लिया गया. संत अंजला अस्पताल के डॉक्टरों ने पिंकी के इलाज में जो खर्च हुई, उसे वहन करने की हामी भरी.
26 मई को संत अंजला अस्पताल के डॉक्टर स्वयं अपना एंबुलेंस ले जाकर पिंकी को चक्रधरपुर लाया. 27 मई को झामुमो अल्पसंख्यक मोरचा के जिलाध्यक्ष सरवर नेहाल नज्जू की उपस्थिति में पीड़ित परिवार को एक लाख तीन हजार रुपये मुआवजा दिया. अस्पताल में घटी इस घटना की चर्चा पूरे शहर में हो रही है. वर्तमान समय में पिंकी की स्थिति बेहतर है. प्रत्येक 15 दिन में होने वाली जांच का खर्च भी संत अंजला अस्पताल देने को तैयार है.