सचिन्द्र दाश/प्रताप मिश्रा @खरसावां
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि छऊ नृत्य कला शैली की ख्याति राज्य की सीमा से बाहर राष्ट्रीय औऱ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है. इस नृत्य कला की मुख्य विशेषता मुखौटा है. लोकजीवन से जुड़े इस नृत्य में कलाकारों की भावभंगिमा, लय-ताल और उमंग देखते ही बनती है. इसमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध कलात्मक नृत्यों- ओडिसी, कथकली और भरतनाट्यम का सुन्दर संयोजन देखने को मिलता है. इसके कई कलाकार पद्मश्री सम्मान सम्मानित हुए हैं. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को सरायकेला में आयोजित राजकीय चैत्र पर्व छऊ महोत्सव 2018 के समापन के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रही थीं.
राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा इस महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया जाना सराहनीय है. उन्होंने यहां पर्यटन मेला का आयोजन करने पर भी प्रसन्नता प्रकट की. उन्होंने कहा कि सरायकेला-खरसावां क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से अत्यंत समृद्ध है. साथ ही यहां दलमा में राष्ट्रीय स्तर का हाथियों का आश्रय स्थल है. प्रसिद्ध रमणीय स्थल चांडिल डैम इस जिला अन्तर्गत है. अतः पर्यटन के विकास की ओर ध्यान देना बेहतर है.
उन्होंने कहा कि आने वाला दिन सरायकेला छऊ नृत्य के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी जाना जायेगा. इससे मनोरंजन एवं ज्ञानवर्द्धन के साथ-साथ रोजगार के साधन भी प्राप्त होते हैं. इससे समृद्धि और खुशहाली के रास्ते खुलते हैं. उन्होंने आशा व्यक्त किया कि यह छऊ महोत्सव-सह-पर्यटन मेला कला-संस्कृति के विकास एवं पर्यटन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने इस मौके पर डाक विभाग द्वारा छऊ महोत्सव पर आधारित विशेष आवरण का भी लोकार्पण किया. उन्होंने महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित होने वाली महुरी स्मारिका का भी विमोचन किया. इस दौरान डीसी छवि रंजन, एसपी चंदन सिन्हा, डीडीसी आकांक्षा रंजन आदी उपस्थित थे.