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आधी आबादी के बिना विकास की परिकल्पना नहीं :बाउरी

सरायकेला : आधी आबादी को जोड़े बिना विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए गांव की महिलाओं को डिजिटल बनाने के लिए सरकार द्वारा स्मार्ट फोन वितरण योजना शुरू की गयी है. उक्त बातें राज्य के कला सांस्कृतिक एवं खेल मंत्री अमर बाउरी ने सरायकेला परिसदन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए […]

सरायकेला : आधी आबादी को जोड़े बिना विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए गांव की महिलाओं को डिजिटल बनाने के लिए सरकार द्वारा स्मार्ट फोन वितरण योजना शुरू की गयी है. उक्त बातें राज्य के कला सांस्कृतिक एवं खेल मंत्री अमर बाउरी ने सरायकेला परिसदन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा.

मंत्री बाउरी ने कहा कि गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सखी मंडल का गठन किया गया है. सखी मंडल को बैंक से जोड़ कर सब्सिडाइज्ड दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है, ताकि महिलाएं कुटीर उद्योग से जुड़ कर आत्मनिर्भर बनें. मंत्री बाउरी ने कहा कि विकास को चरम सीमा तक पहुंचाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है जब तक गांव की महिलाएं डिजिटल नही होगी तब तक यह संभव नही है. सरकार गांव की महिलाओँ को डिजिटल करने के लिए स्मार्ट फोन दे रही है.

मंत्री ने कहा कि सरकार सखी मंडल को लाह की चूड़ी, कंबल, मुर्गी पालन, सहित अन्य कुटीर उद्योग से जोड़ना चाहती है. सखी मंडल से तैयार माल की खरीददारी भी सरकार ही करेगी. सरकार का मानना है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें तभी परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. मंत्री ने सखी मंडल की सदस्यों को बैंक से प्राप्त सब्सिडी का सदुपयोग करने को कहा.

शहर-गांव के बीच दूरी को खत्म करनी है : डीसी : कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीसी छवि रंजन ने कहा कि सखी मंडल को स्मार्ट फोन के माध्यम से डिजिटल करना है, साथ ही शहर व गांव की दूरी व विषमता को खत्म करना भी है. डीसी ने कहा कि गांव की महिलाओं को स्मार्ट फोन दे कर डिजिटल माध्यम से कैशलेस लेन-देन को भी बढावा मिलेगा. गांव के सर्वागीण विकास के लिए समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों तक विकास योजना भी पहुंचाना है. कार्यक्रम को डीडीसी आकांक्षा रंजन ने भी संबोधित किया. मौके पर एसपी चंदन कुमार सिन्हा, जिला परिषद अध्यक्ष शकुंतला महाली, भाजपा जिलाध्यक्ष उदय सिंहदेव, डीआरडीए निदेशक अनिता सहाय,पारस नाथ यादव के अलावा कई पदाधिकारी उपस्थित थे. सखी मंडल से स्वावलंबन बनी निरूपमा व मंजु : सामुदायिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में निरूपमा महतो व मंजू पुरती ने कैसे सखी मंडल का गठन कर आत्मनिर्भर बनी इस पर अपने अनुभव बताये. निरूपमा ने कहा कि चार वर्ष की आयु में माता पिता की मृत्यु हो गयी. किसी प्रकार मैट्रिक किया, फिर विवाह हो गया. ससुर लकवाग्रस्त थे तो पति की सारी आमदनी इलाज में खर्च हो जाती थी. फिर सखी मंडल का गठन किया तो उसमें 15000रु मिले उसी पैसे से खेती की और आज अपने पैरों पर खड़ी हैं. वहीं मंजू ने कहा कि गरीबी के कारण आगे पढ़ नही पायी. सखी मंडल का गठन किया फिर एक लाख मिले उस पैसे से खेती कर आज खुद स्वावलंबन बन गय हूं.

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