बरहरवा. एक ओर राज्य के कई ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जो आधारभूत संरचना की कमी का दंश झेल रहे हैं. वहां के विद्यार्थियों के द्वारा भवनों के निर्माण कराये जाने की मांग अक्सर की जाती है लेकिन उन्हें फंड का अभाव बताकर टाल-मटोल कर दिया जाता है. वहीं, दूसरी ओर सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के बीएसके कॉलेज में करोड़ो रूपये खर्च कर दिये जाने के बाद भी बड़े-बड़े भवनों के बनकर तैयार होने के वर्षों बाद भी उन्हें उपयोग में नहीं लाया जा सका है. बीएसके कॉलेज में 2018 में ही बनकर तैयार साइंस बिल्डिंग व पुस्तकालय भवन को उपयोग में नहीं लाया जा सका है. बीएसके कॉलेज का साइंस तथा पुस्तकालय भवन बीते 7 साल से बनकर तैयार है किंतु हैंडओवर नहीं होने के कारण विद्यार्थियों के काम नहीं आ रहा है. एक करोड़ 20 लाख रूपये की लागत से विज्ञान भवन तथा लाखों की लागत से पुस्तकालय भवन का निर्माण कार्य कराया गया है. वहीं साइंस बिल्डिंग में असामाजिक तत्वों के द्वारा कई कमरों को क्षतिग्रस्त भी किया जा रहा है. आर्ट्स बिल्डिंग में ही होते हैं विज्ञान विषयों के प्रैक्टिकल 2018 में साइंस बिल्डिंग के बनने के बाद यहां विज्ञान विषयों में अध्यनरत विद्यार्थियों को लगा था कि अब उनकी पढ़ाई व प्रैक्टिकल एक ही बिल्डिंग में पूरी हो सकेगी. लेकिन उनके ये सपने अधूरे ही रह गए. 7 साल बीत जाने के बाद भी यहां अध्ययनरत विद्यार्थी आर्ट्स बिल्डिंग में ही साइंस विषयों की कक्षा कर रहे हैं. उनके प्रैक्टिकल की परीक्षाएं व क्लासेज आर्ट्स बिल्डिंग में ही करवाई जाती है. इसके साथ-साथ विद्यार्थियों की परीक्षाएं भी आर्ट्स बिल्डिंग में ही करवाए जा रहे हैं. आर्ट्स बिल्डिंग में ही विज्ञान विषय की बॉटनी, जूलॉजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स की प्रैक्टिकल की कक्षाएं भी चलती है. बताते चले कि बीते वर्ष अप्रैल महीने में आर्ट्स बिल्डिंग के कमरा नंबर 11 में आग लग गई थी. उस कमरे में सोलर प्लांट की बैटरी काफी संख्या में रखी हुई थी. हालांकि समय रहते आग को तो बुझा लिया गया लेकिन उस आग से पहले धुएं के कारण पूरे कमरे का रंग ही बदल गया. उस कमरे को आज तक फिर से रंग-रोगन नहीं कराया जा सका है. उस आग के कारण बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा था. बैठने की कमी के कारण बनाया गया नया पुस्तकालय कॉलेज में पूर्व से एक पुस्तकालय है, जिसका उपयोग विद्यार्थी कर रहे हैं लेकिन वहां बैठने की कमी है. इस कारण तत्कालीन प्राचार्य स्वर्गीय डॉ रघुनंदन राम ने कॉलेज के प्रशासनिक भवन के पीछे नये पुस्तकालय का निर्माण कार्य शुरू कराया था, जो वर्ष 2018 में बनकर तैयार भी हो गया. उसमें बिजली, पेयजलापूर्ति एवं कुछ ही कार्य शेष थे, जिन्हें आज तक पूरा नहीं कराया गया. अगर यह पुस्तकालय पूर्ण कर खोल दिया जाता तो विद्या के मंदिर के हृदय कहे जाने वाले पुस्तकालय में छात्र-छात्राओं का ज्ञान वर्धन हो पाता लेकिन पुस्तकालय भवन को छात्र-छात्राओं के बजाय झाड़ियों ने घेर रखा है. अभी तो स्थिति यह है कि पुस्तकालय भवन का फर्श भी जर्जर होने लगा है. कहते हैं छात्र बीएसके कॉलेज में छात्र-छात्राओं के हित के लिए साइंस बिल्डिंग व पुस्तकालय भवन तो बनवाया गया लेकिन आज तक उसका उपयोग ना हो पाना दुर्भाग्य की बात है. – थॉमस रॉबर्ट साइंस बिल्डिंग व पुस्तकालय भवन को शुरू कराए जाने को लेकर हम लोगों ने कई बार मांग पत्र भी सौंपा है लेकिन अब तक इस पर कोई पहल नहीं हो सका है. – शोएब अख्तर क्या कहते हैं प्राचार्य बीएसके कॉलेज के प्राचार्य डॉ बसंत कुमार गुप्ता ने कहा कि विज्ञान व पुस्तकालय भवन के निर्माण होने के बाद हैंडओवर नहीं किया गया है. अभी भी भवन में कुछ कार्य शेष हैं. फिलहाल विज्ञान भवन के कुछ कमरों में कक्षाएं चल रहीं हैं. विश्वविद्यालय से मार्गदर्शन लिया जा रहा है. जल्द नये पुस्तकालय भवन का लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है