सूख चुके झरने, पोखर व कुएं
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संकट. चापानल की स्थिति है खराब, आम लोग हैं परेशान
सूख चुके झरने, पोखर व कुएं ग्रामीण क्षेत्रों में 14, 380 में से 3061 चापाकल खराब गरमी शुरू होते ही जिले में पेयजल की समस्या गहरा गयी है. ज्यादातर पोखर, कुएं व झरने सूख गये हैं. पानी के हर तरफ हाहाकार मचा है. लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साहिबगंज : […]
ग्रामीण क्षेत्रों में 14, 380 में से 3061 चापाकल खराब
गरमी शुरू होते ही जिले में पेयजल की समस्या गहरा गयी है. ज्यादातर पोखर, कुएं व झरने सूख गये हैं. पानी के हर तरफ हाहाकार मचा है. लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
साहिबगंज : जिले में बहनेवाले पहाड़ी झरने, पोखर, कुएं जहां सूख गये है. वहीं अधिकांश चापानल भी खराब हो गये. इससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पहाड़ों पर प्यास बुझाने के लिए आदिम जनजाति की आस झरना पर टिकी है. गांवों में चापानल का जलस्तर नीचे चला गया है. नौ प्रखंड में जरूरत के हिसाब से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है. प्रति हजार की आबादी पर औसतन 12 चापानल है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. गरमी में जलस्तर नीचे चला गया है. आम दिनों में पानी 10 फीट पर आ जाता है पर अभी जलस्तर 100 फीट नीचे चला गया है.
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल चापाकल की संख्या 14,380 है. इसमें से पिछले साल 3061 चापानल खराब पडा था. इसमें से 1029 अभी तक नहीं बन सकी है. उसके स्थान पर नया चापाकल गाड़ना है. इस साल 621 चापाकल लगाने के लिए स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. मनरेगा से जिले में कूप बनाने व तालाब बनाने का काम होता है.
इससे भी जल संकट दूर हो रहा है. जिले में तीन हजार से अधिक तालाब है. इसका जल ग्रामीण उपयोग में लाते हैं. शहरी क्षेत्र में प्रति एक लोगों पर प्रतिदिन 70 लीटर पानी की खपत होती है. ग्रामीण इलाके में यह औसत खपत 40 लीटर प्रतिदिन है. शहरी क्षेत्र पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शहरी जलापूर्ति योजना का काम साहिबगंज में चल रहा है.
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