संवाददाता, साहिबगंज वर्द्धमान बम विस्फोट का तार बांग्लादेश की सीमावर्ती जिला पाकुड़ व साहिबगंज से जुड़ने के बाद एनआइए व आइबी की टीम की मुश्किलें बढ़ गयी है. सूत्रों के अनुसार, दोनों जिलों में बांग्लादेश से ऑपरेट हो रहे स्पीलर सेल रह रहे हैं. ये स्लीपर सेल देश के कोने-कोने में वारदात को अंजाम देने के बाद यहां छिप कर रहते हैं. एनआइए व आइबी की टीम इन्हीं स्लीपर सेल की तलाश में पाकुड़ व साहिबगंज जिले के कई इलाकों में छापेमारी कर सकती है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन स्लीपर सेलों की पहचान नहीं हो पा रही है. इस कारण एनआइए व आइबी की टीम साहिबगंज के अब्दुल माबूद व मो जाकारिया को गिरफ्तार करने के लिए जी-जान से जुटी है. अगर इनकी गिरफ्तारी हो जाती है, तो इनको कई और स्लीपर सेल के बार में पता चलने की उम्मीद है. क्या है स्लीपर सेलस्लीपर सेल आतंकी संगठन का एक मुख्य हिस्सा होता है. स्लीपर सेल संगठन के आकाओं के सिग्नल पर चलता है. स्लीपर सेल की भूमिका किसी भी ऑपरेशन के बारे में सूचना व सामान उपलब्ध कराने के साथ ही ऑपरेशन को पूरा करने का जिम्मा होता है. आमतौर पर स्लीपर सेल एक आम आदमी के तरह होते है. उसके व्यवहार से पता नहीं चल पाता है कि वह आतंकवादी है. सेफ जोन बना है सीमावर्ती इलाकापुलिस सूत्रों के अनुसार, एनआइए की टीम को पता चला है कि झारखंड के साहिबगंज, पाकुड व पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद, मालदा व फरक्का का इलाका आतंकी संगठनों के लिए सेफ जोन बन गया है. इन इलाकों का सीमा बांग्लादेश से काफी करीब हाने की वजह से आतंकी को कोई भी ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद उसी रास्ते से बांग्लादेश जाकर छिप जाते है.
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बांग्लादेश से ऑपरेट हो रहे स्लीपर सेल की तलाश
संवाददाता, साहिबगंज वर्द्धमान बम विस्फोट का तार बांग्लादेश की सीमावर्ती जिला पाकुड़ व साहिबगंज से जुड़ने के बाद एनआइए व आइबी की टीम की मुश्किलें बढ़ गयी है. सूत्रों के अनुसार, दोनों जिलों में बांग्लादेश से ऑपरेट हो रहे स्पीलर सेल रह रहे हैं. ये स्लीपर सेल देश के कोने-कोने में वारदात को अंजाम देने […]
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