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हाइकोर्ट ने पूछा : हिंदपीढ़ी में कितनों की हुई जांच

झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते संक्रमण को रोकने काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते संक्रमण को रोकने काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने जानना चाहा कि हिंदपीढ़ी इलाके के सील किये गये कंटेनमेंट जोन में कितने लोग रहते हैं. उनमें से अब तक कितने लोगों की जांच की गयी है. दूसरे राज्यों से झारखंड आ रहे प्रवासियों में से कितने की जांच की गयी है.

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिज्योर (एसओपी) क्या है. एक अन्य मामले में खंडपीठ ने ट्रांसजेंडरों को राशन देने के मामले में भी अद्यतन जानकारी देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 29 मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी खंडपीठ को दी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह भी सुनवाई में शामिल हुए. उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर रिम्स में स्वास्थ्यकर्मियों के पीपीइ किट की कमी का मामला उठाया था. चीफ जस्टिस ने पत्र को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं प्रार्थी अमरजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर ट्रांसजेडरों को भी राशन देने की मांग की है.

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