32.1 C
Ranchi
Thursday, March 28, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

झारखंड के किसान बेहाल, खेतों में खट रहा पूरा परिवार लेकिन नहीं निकल रही मजदूरी, विशेषज्ञों से जानें क्या है इसकी वजह

tomato farming in jharkhand : किसानों का कहना है कि साल भर में खाद-बीज, कीटनाशक और दवाइयों की कीमत करीब 20 फीसदी तक बढ़ी है. सिंचाई के लिए डीजल की कीमत 60 से 80 रुपये तक पहुंच गयी है. वहीं टमाटर की कीमत 40-50 रुपये से घटकर एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो हो गयी है. उत्पादन लागत बढ़ गयी है, लेकिन कीमत गिर गयी है.

Jharkhand News, Ranchi News, latest news about farmers in jharkhand रांची : तमाड़ के किसान बेहाल हैं. टमाटर की खेती कर न तो उनका मेहनताना निकल पा रहा है और न तुड़ाई की लागत निकल पा रही है. खेतों में केवल एक किसान ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार खट रहा है, लेकिन एक व्यक्ति की मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है. अभी किसानों से थोक में एक से डेढ़ रुपये किलो के हिसाब से व्यापारी टमाटर खरीद रहे हैं.

किसानों का कहना है कि साल भर में खाद-बीज, कीटनाशक और दवाइयों की कीमत करीब 20 फीसदी तक बढ़ी है. सिंचाई के लिए डीजल की कीमत 60 से 80 रुपये तक पहुंच गयी है. वहीं टमाटर की कीमत 40-50 रुपये से घटकर एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो हो गयी है. उत्पादन लागत बढ़ गयी है, लेकिन कीमत गिर गयी है.

किसान कहते हैं-

सरकार ने 20 वर्ष पूर्व उलीडीह नदी के समीप शीतगृह का निर्माण कराया, लेकिन उसका उपयोग ही नहीं हो पा रहा. अगर यह चालू हो जाता, तो किसानों को मजबूरी में सड़क या खेतों में टमाटर नहीं छोड़ना पड़ता. वहीं प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से टमाटरों की खपत नहीं हो पा रही है. ऐसे में ज्यादा उत्पादन के कारण किसानों को कम कीमत मिलती है और उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है.

यह किस्सा हर साल का है. राज्य में करीब 2.65 लाख टन टमाटर का सालाना उत्पादन होता है. तमाड़ के भुइयांडीह के कालीचरण महतो, देवनाथ महतो, फुलेंद्र महतो जैसे किसानों ने निराश होकर टमाटर तोड़ना भी बंद कर दिया है. घर के सदस्य ही टमाटर तोड़कर बाजार ले जा रहे हैं.

किसानों को प्रति किलो एक से डेढ़ रुपये मिल रही है टमाटर की कीमत

तमाड़ में शीतगृह का उपयोग नहीं होने से नहीं हो पा रहा टमाटरों का भंडारण

प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से टमाटर हो जा रहे हैं बर्बाद, किसान परेशान

हर साल किसानों को हो रहा नुकसान, खेतों में ही टमाटर छोड़ने लगे हैं किसान

2.65 लाख टन टमाटर का सालाना होता है राज्य में उत्पादन, पर नहीं हो पाता है उपयोग

निराश होकर लौट जा रहे किसान : तमाड़ में हर दिन करीब 30-35 ट्रक टमाटर बेचा जाता है. यहां रांची की कई पंचायतों के साथ-साथ अड़की और ईचागढ़ के कई पंचायतों के करीब 400 किसान आते हैं. पिछले कुछ दिनों से सभी निराश होकर बाजार से जा रहे हैं. बताते चलें कि झारखंड में सब्जी उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र रांची है. ब्राॅम्बे, मांडर, इटकी, चान्हो, गोला, चितरपुर, बोड़ेया के सब्जी विक्रेता रांची आते हैं.

बेड़ो में भी किसान परेशान

सब्जी मंडी बेड़ो में भी टमाटर की कीमत में भारी गिरावट आयी है. किसान शिव नारायण महतो बताते हैं कि एक सप्ताह में दो दिन बेड़ो में लगनेवाली सब्जी मंडी में टमाटर की थोक व खुदरा कीमत में चार गुना गिरावट आयी है. सोमवार बाजार में टमाटर की थोक कीमत आठ से नौ रुपये थी, जबकि खुदरा 12 से 15 रुपये थी. वहीं गुरुवार बाजार में थोक कीमत पांच से छह हो गयी, वहीं खुदरा आठ से नौ किलो बिकी. इस सोमवार बाजार में टमाटर थोक दो से ढाई रुपये किलो हो गयी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष फिलिप मैथ्यू कहते हैं कि झारखंड में सब्जी खूब होती है. यह सभी को पता है. अगर इससे संबंधित उद्योग लग जायें, तो किसानों को भी फायदा होगा. इसके लिए प्रोसेसिंग प्लांट ही लगाना होगा. इसके लिए किसी उद्यमी को ही आगे आना होगा. उद्यमियों को सुविधा देने की बात राज्य में कही जा रही है. लेकिन, कोई सुविधा नहीं दी जाती है. एक बार उद्योग लगाने के लिए अनुमति लेने का प्रयास करें. पता चल जायेगा कि कितना पापड़ बेलना पड़ता है.

Posted By : Sameer Oraon

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें