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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रोटेक किसान मेले में बोले एक्सपर्ट, कैंसर से ऐसे कर सकते हैं बचाव

नवस्थापित कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ (कर्नल) मदन मोहन पांडेय ने कहा कि रेशायुक्त पोषक अनाज (मिलेट्स), फल एवं सब्जी के पर्याप्त सेवन तथा तंबाकू, अल्कोहल एवं प्रदूषण से बचने से कैंसर की आशंका न्यूनतम की जा सकती है.

रांची के कांके स्थित नवस्थापित कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ (कर्नल) मदन मोहन पांडेय ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रोटेक किसान मेले में कहा कि खैनी, जर्दा, गुल, गुड़ाकू समेत अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोगों में कैंसर होने की आशंका ज्यादा रहती है. उन्हें मुंह, गला, फेफड़ा का कैंसर हो सकता है. भारत में 100 में से 30-40 लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं. मैदा उत्पाद का सेवन, भोजन में रेशा की कमी, मोटापा, इंफेक्शन, अल्कोहल, नॉनवेज का सेवन और प्रदूषण भी कैंसर के प्रमुख कारक हैं. लगातार अल्कोहल सेवन से मुंह, ब्रेस्ट, लीवर का कैंसर होने की आशंका रहती है. अध्ययन के अनुसार यूरोप में प्रति एक लाख की आबादी में 300 लोग कैंसर से ग्रस्त हो जाते हैं, जबकि भारत में प्रति लाख कैंसर पीड़ितों की संख्या एक सौ से कुछ अधिक है.

कैंसर के लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क

नवस्थापित कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ (कर्नल) मदन मोहन पांडेय ने कहा कि रेशायुक्त पोषक अनाज (मिलेट्स), फल एवं सब्जी के पर्याप्त सेवन तथा तंबाकू, अल्कोहल एवं प्रदूषण से बचने से कैंसर की आशंका न्यूनतम की जा सकती है. सरकार, शिक्षण संस्थानों और स्वयंसेवी संस्थाओं को मिलकर देशव्यापी तम्बाकू मुक्ति अभियान चलाना चाहिए. उन्होंने कैंसर के विकास के विभिन्न चरणों, पहचान तथा उपचार प्रक्रिया पर प्रकाश डाला और कहा कि इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते ही मरीज को गंभीरता से लेना चाहिए और विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए. स्त्रियों में ब्रेस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर तथा पुरुषों में फेफड़ों और कोलोन का कैंसर ज्यादा होता है. प्रथम चरण में कैंसर जहां शुरू होता है वहीं स्थित रहता है, इसलिए उसे ऑपरेट करके निकाल देने से रोग से पूर्ण मुक्ति संभव है. द्वितीय चरण के कैंसर को भी एक हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. तृतीय चरण में जब कैंसर के सेल्स फेफड़ा, लीवर एवं ब्रेन में फैल जाते हैं, तब इस रोग से पूर्ण मुक्ति संभव नहीं हो पाती.

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ऐसे लक्षण दिखें तो जरूर लें परामर्श

डॉ पांडेय ने कहा कि ब्रेस्ट में अगर गांठ मालूम पड़े, किसी तरह का स्राव या रक्त निकलने लगे, मुंह में छाला बहुत दिनों से बना रहे, पूरा मुंह खोलने में दिक्कत हो, पीरियड्स के बीच या मीनोपॉज के बाद भी ब्लड आए तो सचेत हो जाना चाहिए और विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए. ए ब्लड ग्रुप वालों में पेट का तथा बी ब्लड ग्रुप वालों में कोलोन का कैंसर ज्यादा देखा गया है. डॉ पांडेय ने कहा कि कैंसर होने से कोई भी व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से टूट जाता है. इसलिए उसकी सतत सेवा करने के अलावा उसके साथ सहानुभूति से व्यवहार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुकुरहुट्टू, कांके स्थित कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में विश्वस्तरीय मेडिकल सुविधायें सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की दर पर उपलब्ध हैं. रेडियोथेरेपी के लिए यहां झारखंड-बिहार की आधुनिकतम मशीन उपलब्ध हैं. आपको बता दें कि डॉ पांडेय ने तीस वर्षों तक भारतीय सेना में सर्जन के रूप में सेवाएं दीं. इसके बाद कई वर्ष अपोलो और मेदांता अस्पताल में सेवारत रहे हैं.

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