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डायन कुप्रथा दूर करने के लिए बच्चों को जागरूक कर रही सरकार
कक्षा छह की सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था-एक पुस्तक में इस विषय पर है एक अध्याय रांची : राज्य में डायन कुप्रथा दूर करने के लिए सरकार स्कूली बच्चों को जागरूक कर रही है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कक्षा छह की किताब सामाजिक व राजनीति व्यवस्था-एक में डायन कुप्रथा के नाम से एक अध्याय […]
कक्षा छह की सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था-एक पुस्तक में इस विषय पर है एक अध्याय
रांची : राज्य में डायन कुप्रथा दूर करने के लिए सरकार स्कूली बच्चों को जागरूक कर रही है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कक्षा छह की किताब सामाजिक व राजनीति व्यवस्था-एक में डायन कुप्रथा के नाम से एक अध्याय शामिल किया है. डायन प्रथा को एक सामाजिक समस्या बताया गया है.
अध्याय में कहा गया है कि डायन-बिसाही का कोई अस्तित्व नहीं होता. यह महज सामाजिक कुरीति एवं अंधविश्वास है. अगर गांव में बीमारी फैलती है या किसी के साथ कोई अनहोनी होती है, तो उसकी कोई खास वजह होती है. किसी अंधविश्वास के साथ इसका कोई ताल्लुक नहीं होता है. बच्चों को डायन प्रथा पर ग्रामीण जनता की सोच के बारे में भी बताया गया है. एक कहानी के माध्यम से उन्हें बताया गया कि एक गांव में एक महिला रहती थी, जिसके पति की मृत्यु हो गयी. उसका बेटा बीमारी से मर गया.
बरसात के मौसम में गांव में बहुत सारे लोग बीमार पड़ने लगे. गांव के लोग उस महिला के यहां पहुंचे व बीमारी के लिए उसे जिम्मेदार बताने लगे. आंगनबाड़ी की दीदी ने गांव के लोगों का इलाज करवाया. जिससे गांव के सभी बीमार लोग ठीक हो गये.
डायन-बिसाही कुप्रथा समाप्त करने का प्रयास
डायन कुप्रथा समाप्त करने के लिए झारखंड सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयास के बारे में बच्चों को बताया गया है. कहा गया कि इसके लिए गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. सरकार द्वारा नुक्कड़ नाटक, समाचार पत्र व अन्य माध्यमों से इसे समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. व्यक्ति इसके बारे में टोल फ्री नंबर 181 पर भी जानकारी दे सकते हैं.
बच्चों को बताये गये हैं कानूनी प्रावधान
किताब में डायन प्रथा समाप्त करने के लिए बने कानून के बारे में भी बताया गया है. किसी पर डायन का आरोप लगाने वाले व्यक्ति को तीन माह की सजा या एक हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों दंड दिया जा सकता है. डायन कहकर किसी महिला को शारीरिक या मानसिक शोषण करने वाले व्यक्ति को छह माह की कैद या दो हजार जुर्माना अथवा दोनों दंड हो सकता है.
प्रखंड स्तर पर बाल विकास पदाधिकारी को सुरक्षा अधिकारी बनाया गया है. किसी को अगर डायन कह कर तंग किया जाता है, तो पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए. किताब में इससे बचाव के सुझाव के बारे में भी बच्चों को बताया गया है.
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