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अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन उचित नहीं : रशीदी
रांची : अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं न्याय पर आधारित न्यायिक व्यवस्था पर एक कुठाराघात है. जिसे देश के गुलामी के समय भी अंग्रेजों ने अधिवक्ताअों के खिलाफ लागू नहीं किया था. वर्तमान सरकार अधिवक्ताअों के ऊपर प्रतिबंध लगाने के लिए लोकसभा में कानून बनाना चाहती है, वह भी बिना चिंतन-मनन किये. […]
रांची : अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं न्याय पर आधारित न्यायिक व्यवस्था पर एक कुठाराघात है. जिसे देश के गुलामी के समय भी अंग्रेजों ने अधिवक्ताअों के खिलाफ लागू नहीं किया था.
वर्तमान सरकार अधिवक्ताअों के ऊपर प्रतिबंध लगाने के लिए लोकसभा में कानून बनाना चाहती है, वह भी बिना चिंतन-मनन किये. यह कानून बना, तो अधिवक्ताअों के लिए काला कानून होगा. अधिवक्ता एक्ट में संशोधन का हम विरोध करते हैं. उक्त बातें रविवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स झारखंड के महासचिव एके रशीदी ने कहा. वह रविवार को आड्रे हाउस में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. संगोष्ठी का विषय था वर्तमान परिदृश्य में अधिवक्ताअों की स्वतंत्रता एवं प्रतिबंध. इसमें अधिवक्ताअों पर नियंत्रण के लिए अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन पर विचार किया गया. इस अवसर पर एस डे ने कहा कि अधिवक्ताअों का पेशा स्वतंत्र पेशा है.
हम किसी की नौकरी नहीं करते, बल्कि समाज हित में काम करते हैं. पर अचानक सरकार को यह क्या सूझा कि हमारे पेशे पर ही प्रतिबंध लगाना चाहती है. क्या अधिवक्ता कोर्ट में डर-डर कर जायेंगे. अगर यह हालात रहे, तो हमें कोई दूसरा पेशा देखना होगा. संगोष्ठी को वाइएस लोहित, एस टोपनो, केएम प्रसाद, मीना कुमारी सहित अन्य ने भी संबोधित किया.
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